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न्याय मित्र ने ओडिशा उच्च न्यायालय को बताया
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मरम्मत और जीर्णोद्धार कार्यों को लेकर जतायी असंतुष्ट
भुवनेश्वर। पुरी स्थित महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मंदिर की संचरनात्मक स्थिति को लेकर सवालिया निशान लग गया है। ओडिशा उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त न्याय मित्र एनके मोहंती ने मंगलवार को अदालत को बताया कि पुरी में श्रीमंदिर सुरक्षित नहीं है। वहां के जगमोहन में कई दरारें हैं, जिन्हें तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है।
मोहंती ने पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर और कोणार्क के सूर्य मंदिर की अपनी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए अदालत में एक हलफनामा प्रस्तुत किया है और कहा कि वह मरम्मत और जीर्णोद्धार कार्यों से संतुष्ट नहीं हैं।
हलफनामे में उन्होंने बताया कि 17 सितंबर 2022 को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक के कार्यालय में एवं एएसआई भुवनेश्वर सर्कल में हुई बैठक में चर्चा के दौरान नाटमंडप की बीम में दरार के बारे में आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट पेश की गयी थी।
इस रिपोर्ट में हमें पाया कि क्रैक बीम की मरम्मत का काम तत्काल आवश्यक है, लेकिन अगस्त, 2018 से अब तक एएसआई ने इस काम को हाथ में नहीं लिया है, जिससे यह लंबित है।
मोहंती ने अदालत को बताया कि आईआईटी मद्रास की अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि जो बीम पूरी तरह से टूट चुके हैं, वे अब एक ब्रैकट के रूप में काम कर रहे हैं। इसका मतलब है कि यह छत का कोई भार वे वहन नहीं कर सकते हैं। इसके साथ उन्होंने कहा है कि मंदिर में जगमोहन की पहली और दूसरी पीढ़ा परतों पर और मंदिर के कलश तथा पत्थरों
के अमलाकों में व्यापक संरचनात्मक दरार देखने को मिले हैं।
न्याय मित्र ने कहा कि तीन साल पहले 23 दिसंबर 2019 को एएसआई ने आश्वासन दिया था कि चार महीने के भीतर मरम्मत का काम पूरा कर लिया जायेगा, लेकिन चीजें आज भी वैसी ही हैं। अदालत के हस्तक्षेप से एएसआई अब इसे मार्च 2023 तक पूरा करने का वादा किया है। न्याय मित्र ने अदालत से यह भी अनुरोध किया है कि काम की प्रगति की निगरानी के लिए मामले को अदालत के सामने रखा जाये। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी 2023 को निर्धारित की है।