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बेटी द्रौपदी मुर्मू ने शून्य से शिखर तक सफर पूरा कर लिया
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ओडिशा को मिला इतराने का एक और मौका
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आध्यात्मिक, धार्मिक, पर्यटन, शिक्षा और आर्थिक के बाद राजनैतिक क्षेत्र ने दी एक और पहचान
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
इस धरा ने कई तरीकों से हमें अपना पहचान दिलाने का गौरव हासिल की है. आध्यात्मिक, धार्मिक, आर्थिक और पर्यटन के बाद अब राजनैतिक क्षेत्र ने भी ओडिशा को एक नई पहचान दी है. धर्म का नाम लेते ही जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का चेहरा सबके सामने आता है. वह पुरी श्री गोवर्धन पीठ के वर्तमान में 145वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं. पुरी दुनिया के लोगों के साथ आध्यात्मिक तौर पर हमारा नाता पुरी के महाप्रभु श्री जगन्नाथ की वजह से जुड़ता है. विभिन्न पर्यटन क्षेत्र और समुद्र भी हमारी पहचान को बढ़ाते हैं. आर्थिक तौर पर यहां खदानों ने हमारी पहचान को नया रूप दिया है. शैक्षणिक संस्थानों ने हमें शिक्षा हब के रूप में पेश किया है. अब राजनैतिक क्षेत्र ने भी राज्य को एक नयी पहचान दिलायी है. ओडिशा की धरती ने हमें इतराने के मौकों से लबरेज कर दिया है. धन्य कर दिया है.
जी हां, अब ओडिशा की बेटी द्रौपदी मुर्मू अपने राज्य के गौरव का प्रतीक बन चुकी हैं. वह अब देश की प्रथम नागरिक अर्थात राष्ट्रपति चुन ली गयी हैं. अक्सर हमने सुना है कि बेटियां परिवार के लिए शान की बात होती हैं, आज राज्य की बेटी द्रौपदी मुर्मू ने इस बात को साबित कर दिया है. आज देश में कहीं भी हम जायें, तो हम गर्व से कह सकते हैं कि हम राष्ट्रपति के राज्य से हैं.
इस बेटी ने अदना गांव और तथाकथित अति पिछड़े हुए वर्ग से निकल कर अपनी प्रतिभा को स्थापित किया है. जल-जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासी समुदाय में जन्म लेने वाली इस बेटी ने अपनी प्रतिभा से राज्य धन्य कर दिया है.
घोषणा के वक्त से छायी हैं खुशियां
एनडीए ने जैसे ही द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीद के रूप में उतारने की घोषणा की और बीजू जनता दल के मुखिया तथा राज्य मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपना समर्थन देने की घोषणा की, वैसे ही राज्य में एक गजब सी खुशी का माहौल बन गया. चर्चाओं और दुआओं का दौर शुरू हुआ. लोगों का स्नेह और दुआओं की बदौलत बेटी द्रौपदी मुर्मू ने शून्य से शिखर तक सफर पूरा कर लिया.
बेटी की शान बनाये रखना भी हमारा कर्तव्य
चूंकी राज्य की बेटी मुर्मू ने आपको इताराने का एक मौका दिया है. आप भी गौरान्वित महसूस कर रहे होंगे, लेकिन अब हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां बढ़ गयी हैं. हमें भी अपने राज्य की गरिमा को बनाये रखनी होगी, जिससे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को कहीं भी शर्म से सिर न झुकाना पड़े.
ओडिशा आज खुदको धन्य महसूस कर रहा है. एकलंबी फहरिस्त है शून्य से शिखर तकसफर करने वालों की. ओडिशा की पाजिटिव राजनीतिक पहलू की यह देन है कि एक आदिवासी महिला ने जंगल से राजमहल (राष्ट्रपति भवन) तक का सफर पूरा किया.#Droupadi_Murmu #PresidentofIndia https://t.co/WR5GnGyNCX
— INDO ASIAN TIMES (@IndoAsianTimes) July 22, 2022