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ज्योतिर्धर पुरुष थे आचार्य महाप्रज्ञ – मुनि जिनेश कुमार
भुवनेश्वर. युगप्रधान, महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में युगप्रधान, प्रेक्षा प्रणेता अचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 13वां महाप्रयाण दिवस समारोह पूर्वक तेरापंथ भवन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित हुआ. इस अवसर पर मुख्य अतिथि गृह राज्य, ऊर्जा सुक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्री श्री दिव्य शंकर मिश्र विशेष रूप से उपस्थित थे. टिटिलागढ नगरपालिका अध्यक्ष ममता नवीन जैन भी सम्मानीय अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं. इस अवसर पर महासभा पंचमंडल के सदस्य भंवरलाल वैद आदि गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी से कहा कि कुछ लोग अतीत की यादों में, कुछ लोग वर्तमान में व कुछ लोग भविष्य की कल्पना में जीते हैं, परन्तु आचार्य महाप्रज्ञ तीनों कालो में सामन्जस्य बैठाकर जीये. उन्होंने अतीत का अनुसंधान कर भविष्य के लिए योजनाएं बनाते हुए वर्तमान में प्रयोग किये. वे कालजयी पुरुष थे. भले ही वे सदेह हमारे मध्य नहीं हैं, परन्तु साहित्य के माध्यम से विदेह के रूप में हमारे मध्य विराजमान हैं. राष्ट्र की उन्नति, नैतिक मूल्यों के विकास व अहिंसक चेतना के जागरण के लिए उन्होंने अहिंसा यात्रा के जरिए भरसक प्रयत्न किये. देश के विभिन्न धर्म गुरुओं के साथ बैठकर उन्होंने साम्प्रदायिक सौहाई बढ़ाने के महत्त्वपूर्ण प्रयास किया. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम व आचार्य महाप्रज्ञ के संयुक्त आलेखन से ‘द फेमिली एण्ड नेशन” पुस्तक प्रकाशित हुई, जो राष्ट्र के लिए धरोहर है. आज आचार्य श्री महाप्रज्ञ के 13वें महाप्रयाण दिवस पर उन्हें भावांजलि अर्पित करता हूं. मुनि जिनेश कुमार ने आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ का जीवन अनेक विशेषताओं का पुंज था. वे श्रद्धा और समर्पण के संगम, प्रज्ञा और पुरुषार्थ की प्रयोगशाला, व आशीष और अनुग्रह की फलश्रुति थे. वे जिनशासन के ज्योतिर्धर पुरुष व अध्यात्म के सुमेरू थे. वे मानवता के मसीहा थे.
वे साहित्यकार, प्रवचनकार, संस्कृत, प्राकृत के आशु कवि ज्ञान के अथाह सागर थे. उन्होंने प्रेक्षाध्यान ,जीवन विज्ञान, अहिसां समवाय आदि अवदान देकर मानव जाति को उपकृत किया. इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओडिशा सरकार के गृह राज्यमंत्री दिव्य शंकर मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ओडिशा सबसे पुरानी जैन बस्ती है. भगवान पार्श्व के समय भी ओडिशा में जैन धर्म था. आचार्य श्री के आशीर्वाद से में इतनी बड़ी विपत्तियों से निकल पाया हूं. जैन समाज के लोगों दूसरे के दुख-दर्द में बढ़-चढ़कर सहयोग करते हैं. यह अच्छी बात है. इस अवसर पर बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया. सम्मानीय अतिथि ममता जैन ने अपने विचार व्यक्त किये व प्रथम बार नगराध्यक्ष बनने पर आशीर्वाद की कामना की. महासभा पंचमंडल सदस्य भंवरलाल बैद ने अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ कन्या मण्डल के मंगलाचरण से हुआ. स्वागत भाषणा तेरापंथी सभा, भुवनेश्वर के अध्यक्ष बच्छराज बेताला ने दिया. तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष विवेक बेताला, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष मधु गिड़िया ने अपने विचार व्यक्त किये. इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल ने सुमधुर गीत का संगान किया. सुशीला सेठिया, मुन्नी देवी बेताला ने काव्य पाठ व धारिणी सुराणा ने सुमधुर गीत का संगान किया. आभार ज्ञापन मंत्री पारस सुराणा ने व संचालन मुनि परमानंद ने किया किया. अतिथियों का सम्मान सभा द्वारा किया गया. कार्यक्रम से पूर्व जप अनुष्ठान भी किया गया.