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डा गणेशी लाल ने उनके जीवन आदर्शों को आर्दश बताया
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कहा- उनके अनेकांत, अहिंसा और विश्व मैत्री के विचार आज भी प्रासंगिक
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आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का जन्म शताब्दी समारोह आयोजित
भुवनेश्वर. विश्व के महान दार्शनिक प्रज्ञा पुरुष इस युग के विवेकानंद जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के दशम आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का जन्म शताब्दी वर्ष पूरे भारत वर्ष में आयोजित हो रहा है. इसी क्रम में भुवनेशवर तेरापंथ भवन में बड़े ही धूमधाम से पूरे ओडिशा के सभी समाज के वरिष्ठ सदस्यों की उपस्थिति में आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या समणी मलय प्रज्ञा जी एवं समणी नीति प्रज्ञा जी के सानिध्य में संपन हुआ. इस भव्य आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में ओडिशा के महामहिम राज्यपाल प्रो श्री गणेशी लाल उपस्थित थे.
इस कार्यक्रम का आयोजन जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा एवं श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा भुवनेशवर के तत्वाधान में किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं नवकार महामंत्र के साथ हुआ. कार्यक्रम के महासभा संयोजक मनसुख लाल सेठिया ने ओडिशा प्रदेश से पधारे हुए सभी समाज के गणमान्य व्यक्तियों का हार्दिक स्वागत किया. मुख्य वक्ता के रूप में समणी मलय प्रज्ञा जी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी के मुख्य चार आयामों व्यक्तित्व, कर्तत्व,वक्तत्व एवम् नेत्तृत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने ने कहा कि आचार्य श्री अंतर दृष्टि सम्पन्न व्यक्ति थे. तीसरा नेत्र खुले होने के कारण आप बिना आंख के भी देख सकते थे. ऐसी कोई विधा नहीं है जिसमें आपकी लेखनी अछूती रही है, संवाद शैली इतनी प्रभावित थी कि हर कोई सहज में आकर्षित होता था. 90 वर्ष के लंबे जीवन काल में सदैव श्रम का जीवन जिया. आपने अपने समय का नियोजन आनन्द की उपासना, ज्ञान की उपासना एवं शक्ति की उपासना में किया. मुख्य अतिथि के रूप में ओडिशा के महामहिम राज्यपाल ने आचार्य महाप्रज्ञ जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
आपने आचार्य महाप्रज्ञ जी के साथ अतीत के सम्बन्धों को उल्लेखित किया. उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ जी के सिद्धांतों का वर्णन करते हुए कहा कि मानव जाति के प्रति उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. उनके अनेकांत, अहिंसा और विश्व मैत्री के विचार आज भी प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि इस दुनिया में सारी उलझन आत्मा और परमात्मा की समझ नहीं होने के कारण है. उन्होंने कहा कि मनुष्य एक पवित्र आत्मा है, शरीर मनुष्य नहीं है. इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित लोगों से दो मिनट अपने ईष्ट देव के समक्ष बैठने और उनको ध्यानकर बिना बोले बात करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से सारी दुविधाएं दूर हो जायेंगी और सारे ज्ञान स्वतः अर्जित हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में एकलौता देश है, जहां सारे शोध ऋषि-मुनियों ने किया है. लोगों को जीवन विज्ञान को समझने की जरूरत है. इस कार्यक्रम में मंच पर महासभा के सरंक्षक सुभाष भुरा, सभा अध्यक्ष महेश सेठिया एवं सभा मंत्री सुनील सुराणा उपस्थित थे. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समाज की सभी संस्थाओं एवं कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा.