भुवनेश्वर. ओडिशा में कोरोना पावंदियों के बीच आज कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बोइत बंदान उत्सव मनाया गया. लोगों ने नौकाओं का वहन कर परंपरा का निर्वहन किया. कुछ लोगों ने घरों में इस उत्सव को मनाया तो कुछ लोगों को नदियों और तालाबों में नौकाओं को बहाते हुए देखा गया. लोग इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. सभी चंद्र मासों में कार्तिक को सबसे पवित्र मास माना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा को देव-दिवाली या देव-दीपावली भी कहा जाता है.
कार्तिक के महीने के दौरान ओड़िया हिंदू मांसाहारी भोजन के सेवन से परहेज करते हैं, क्योंकि यह ‘धर्म’ का महीना है. महीने के अंतिम पांच दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जिन्हें पंचक के रूप में जाना जाता है और अंतिम दिन कार्तिक पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष पंचुक छह दिनों तक चला.
इस शुभ दिन पर, सुबह-सुबह लोग कलिंग (ओडिशा) के अतीत की महिमा को याद दिलाने के लिए जलाशयों में छोटे केले, कागज या थर्मोकोल नावों को तैरकर बोइता बंदान के अनुष्ठान का पालन करते हैं. ओडिशा से जलमार्ग के व्यापार किया जाता था, जिसको आज के दिन याद किया जाता है और समृद्धि की कामना की जाती है.