कटक. कमिश्नरेट पुलिस ने कटक में जाली दस्तावेज का प्रयोग कर 60 लाख रुपये का कर्ज लेने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा से जाली जमीन और अन्य दस्तावेज लेकर 60 लाख रुपये का कर्ज लेने का आरोप है.
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान बापी उर्फ सत्य शंकर सतपथी, खेत्र मोहन त्रिपाठी (62) और राजू उर्फ राजकिशोर स्वाइं (52) के रूप में हुई है.
बताया गया है कि कटक में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओडिशा स्टेट बार काउंसिल शाखा के सीनियर ब्रांच मैनेजर सुरेश कुमार मोहंती ने सतपथी के खिलाफ लालबाग पुलिस स्टेशन में 3 सितंबर को शिकायत दर्ज कराई थी.
शिकायत में उन्होंने कहा है कि बैंक ने सत्पथी को 28 जनवरी, 2019 को एक सत्यवादी बलियारसिंह के नाम पर अचल संपत्ति को बंधक रखने के बाद ब्रिटानिया उत्पाद के व्यापार के लिए 60 लाख रुपये का नकद ऋण ऋण दिया था. सतपथी ने पहचान स्थापित करने के लिए उक्त सत्यवादी बलियारसिंह की आरओआर, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और तस्वीर जमा की थी.
ऋण प्राप्त करने के कुछ महीनों के बाद बैंक द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बावजूद सतपथी ने बकाया राशि की भुगतान नहीं की.
31 मार्च, 2021 को बैंक ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी), कटक के समक्ष सतपथी और गारंटर सत्यबादी बलियारसिंह के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया. डीआरटी से नोटिस मिलने पर बलियारसिंह ने शिकायत की कि उन्हें ऋण के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उन्होंने सतपथी के किसी ऋण दस्तावेज पर कोई हस्ताक्षर नहीं किया है और उनका उनसे कोई परिचित नहीं है.
बलियारसिंह ने आरोप लगाया कि सतपथी ने आरओआर, पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि जैसे जाली दस्तावेज तैयार किए हैं और उक्त ऋण का लाभ उठाने के लिए अपनी पहचान का प्रतिरूपण किया है.
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि सतपथी हरपर्वती एजेंसी के नाम से एक कारोबार चला रहा है और ब्रिटानिया प्रोडक्ट का कारोबार कर रहा है. उसे अपना व्यवसाय चलाने के लिए धन की तत्काल आवश्यकता थी. इसलिए उसने त्रिपाठी, राजू और अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ जाली दस्तावेजों की व्यवस्था के जरिये बैंक से नकद ऋण प्राप्त करने के लिए साजिश रची. दूसरे की संपति फर्जी तरीके से बंधक के रूप में पेश करने की साजिश रची.
इसलिए आरोपित राजू व अन्य साथियों ने नयागढ़ के बलियारसिंह के जाली दस्तावेज तैयार किया. उनकी योजना के अनुसार, त्रिपाठी ने बलियारसिंह का रूप धारण किया. उन्होंने त्रिपाठी की तस्वीर के साथ फर्जी वोटर कार्ड, डीएल, आधार कार्ड और बलियारसिंह के अन्य दस्तावेज बनाए. उन्होंने बलियारसिंह की संपत्ति के आरएसडी और आरओआर भी जाली बनायी.
हेरफेर कर दस्तावेज़ इतनी कुशलता से तैयार किए गए थे कि विज़ुअलाइज़ेशन पर उनका पता नहीं लगाया जा सकता था. आरोपी व्यक्तियों ने ऋण लेने के लिए यूनियन बैंक में उक्त जाली दस्तावेजों को असली के रूप में इस्तेमाल किया.
निर्माणाधीन संपत्ति स्थल पर बैंक द्वारा क्षेत्र सत्यापन के दौरान आरोपी व्यक्तियों ने त्रिपाठी को संपत्ति के मालिक के रूप में दिखाया. त्रिपाठी ने बलियारसिंह के रूप में ऋण में गारंटर के रूप में भी हस्ताक्षर किया. चतुराई से षडयंत्र के तहत आरोपी व्यक्ति बैंक से स्वीकृत 60 लाख रुपये का कर्ज ले लेता है और इसके बाद मुख्य आरोपी सतपथी कर्ज चुकाने से बचने के लिए फरार हो गया था.
हालांकि, आरोपी व्यक्तियों को 10 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया है. इनमें से कुछ और आरोपी अभी भी फरार हैं. मामले की जांच जारी है और सभी आरोपितों के आपराधिक इतिहास को खंगाला जा रहा है.