नई दिल्ली. निपुण भारत का उद्देश्य 3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की जरूरतों को पूरा करना है- श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज वर्चुअल माध्यम से समझ के साथ पढ़ने तथा संख्या गणना में निपुणता के लिए राष्ट्रीय पहल निपुण भारत को लॉन्च किया। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश का प्रत्येक बच्चा 2026-27 तक ग्रेड 3 के अंत तक मूलभूत साक्षरता और संख्या गणना कौशल आवश्यक रूप से प्राप्त कर सके। राष्ट्रीय मिशन राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे, श्रीमती अनीता करवाल, सचिव (एसईएंडएल), मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी, नीति निर्माताओं और संस्थानों के प्रमुखों की उपस्थिति में यह पहल लॉन्च की गई। इस मौके पर एक शॉर्ट वीडियो, एंथम और निपुण भारत से जुड़े दिशा-निर्देश भी लॉन्च किए गए। केंद्र प्रायोजित योजना समग्र शिक्षा के तत्वावधान में शुरू किया गया यह मिशन बच्चों को स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में पहुंच प्रदान करने और उन्हें स्कूल में बनाए रखने; शिक्षक क्षमता निर्माण; उच्च गुणवत्ता और विविध छात्र और शिक्षक संसाधन/लर्निंग सामग्री का विकास; और सीखने के परिणामों को प्राप्त करने में प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर नज़र रखने के लिए है।
श्री पोखरियाल नेप्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि निपुण भारत का उद्देश्य 3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की जरूरतों को पूरा करना है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को बुनियादी भाषा के विकास के लिए हर बच्चेकी साक्षरता और संख्यात्मक कौशलपर ध्यान देने की जरूरत है ताकि उन्हें बेहतर पाठकों और लेखकों के रूप में विकसित करने में मदद मिले। इस तरह निपुण भारत ने बुनियादी चरण में ही सीखने के अनुभव को समग्र, एकीकृत, समावेशी, सुखद और आकर्षक बनाने की परिकल्पना की है।
शिक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में यह निर्धारित किया गया है कि सभी बच्चों के लिए मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल प्राप्त करना तात्कालिक राष्ट्रीय मिशन बनना चाहिए। श्री पोखरियाल ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुएविभाग ने निपुण भारत के तहत एक व्यापक दिशा-निर्देश विकसित किया है। इसे लचीला और सहयोगी बनाने के लिए भागीदारों, विशेषज्ञों के साथ श्रृंखला रूप में गहन परामर्श किया गया है।श्री पोखरियाल ने कहा कि इसमें राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लॉक और स्कूल स्तर पर प्रभावी रूप से क्रियान्वयन व्यवस्था करने के लिए मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक के प्रमुख तकनीकी पहलुओं के साथ-साथ प्रशासनिक पहलुओं को शामिल किया गया है।उन्होंने यह भी बताया कि 2021-22 में फाउंडेशनल स्टेज के लिए विभिन्न उपायोंको लागू करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को समग्र शिक्षा योजना के तहत 2688.18 करोड़ रुपये की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है।
इस अवसर पर श्री धोत्रे ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मजबूत राष्ट्र निर्माण का आधार है और साक्षरता व संख्यात्मक कौशल में मूलभूत शिक्षा इसका मुख्य घटक है। श्री धोत्रे ने कहा कि आने वाले वर्षों में यह मिशन हमारी स्कूली शिक्षा के दृष्टिकोण को बदल देगा और 21वीं सदी के भारत पर जोरदार प्रभाव डालेगा।श्री धोत्रे ने जोर देकर कहा कि निपुण भारत न केवल हमारे छात्रों को अपनी उच्च कक्षाओं में बड़ी छलांग लगाने में मदद करेगा, बल्कि विश्व स्तर पर छात्रों को प्रतिस्पर्धी बनाने में भी प्रभाव छोड़ेगा।
इसकी अनूठी विशेषता यह है कि मिशन के लक्ष्यों को लक्ष्य सूची या मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल के लिए लक्ष्य के रूप में स्थापित किया जाता है। यद्यपि समग्र उद्देश्य ग्रेड 3 के अंत तक वांछित सीखने के परिणामों को प्राप्त करना है, माता-पिता, समुदाय, स्वयंसेवकों आदि के बीच अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए, लक्ष्य को बाल वाटिका से ग्रेड 3 तक विकसित किया गया है। लक्ष्य एनसीईआरटी और अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान व ओआरएफ अध्ययन द्वारा विकसित सीखने के परिणामों पर आधारित हैं।उदाहरण के लिएएक बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब सेअपरिचित पाठ-सामग्री को पूरी समझ और स्पष्टता के साथक्रमशःप्रति मिनट45 से 60 शब्द और ग्रेड II वIII के अंत तककम से कम 60 शब्दों को सही ढंग से पढ़ने में सक्षम होना चाहिए।
निपुण भारत की सफलता मुख्य रूप से शिक्षकों पर निर्भर करेगी। इसलिए शिक्षकों के क्षमता निर्माण पर विशेष जोर दिया जाएगा। एनसीईआरटी द्वारा निष्ठा के तहत मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल के लिए एक विशेष पैकेज तैयार किया जा रहा है और पूर्व प्राथमिक से प्राथमिक ग्रेड में पढ़ाने वाले लगभग 25 लाख शिक्षकों को एफएलएन पर इस वर्ष प्रशिक्षित किया जाएगा।
निपुण भारत मिशन के लक्ष्यों और उद्देश्यों के क्रियान्वयन से निम्नलिखित परिणामों की परिकल्पना की गई है:
•प्राथमिक कौशल बच्चों को कक्षा में रखने में सक्षम बनाते हैं जिससे बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को कम किया जा सकता है और प्राथमिक से उच्च प्राथमिक व माध्यमिक चरणों में पढ़ाई छोड़ने की दर में कमीआती है।
•गतिविधि आधारितलर्निंग और सीखने के अनुकूल माहौल से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
•इस तरह के खिलौना आधारित और अनुभवात्मक सीखने के रूप में अभिनव अध्यापन कला कक्षा कार्य मेंइस्तेमाल की जाएगी जिससे सीखना एक खुशहाल और आकर्षक गतिविधि रहे।
•शिक्षकों की सघन क्षमता निर्माण से उन्हें सशक्त बनाया जाएगा औरअध्यापन कला चुनने के लिए अधिक स्वायत्ता प्रदान की जाएगी।
• शारीरिक औरसामाजिक-भावनात्मक विकास, साक्षरता और संख्यात्मक विकास, संज्ञानात्मक विकास, जीवन कौशल आदि जैसे परस्पर संबंधित और परस्पर निर्भरविकास के विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके बच्चे का समग्र विकास प्रगति कार्ड में परिलक्षित होगा।
• बच्चे तेजी से सीखने की गति हासिल करेंगे जिसका बाद के जीवन क