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‘हिंदी के विकास में हिंदीतर भाषियों की देन’ नामक त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार सम्पन्न
विशाखपट्टनम. संत जोसफ महिला महाविद्यालय (स्वा.), विशाखपट्टनम तथा राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया), भारत के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिंदी के विकास में हिंदीतर भाषियों का योगदान’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार सफलता पूर्वक संपन्न हुआ|
वेबिनार का उद्घाटन सत्र डॉ एस दीप्ति के प्रार्थना गीत से आरंभ हुआ| तदनंतर संत जोसफ कालेज की पी आर ओ ने अतिथियों का स्वागत किया| इस वेबिनार में देश विदेश के दो सौ से अधिक हिंदी प्रेमी, साहित्यकार, प्राद्यापकगण, हिंदी अधिकारीगण और शोधार्थियों ने सोउत्साह भाग लिया| वेबिनार की संयोजिका, द्वितीय भाषा विभाग की अध्यक्षा तथा वाजा महिला विभाग आंध्र प्रदेश की अध्यक्षा डॉ पी के जयलक्ष्मी जी ने संगोष्ठी के लक्ष्यों से अवगत कराया| पहले दिन का उप विषय था हिंदी के विकास में दक्षिण भारतीय संस्थाओं, भाषा प्रेमियों व पत्रकारों की भूमिका’| उक्त विषय से संबंधित काफी जानकारी ‘वाजा इंडिया’ के संस्थापक महासचिव श्री शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी’ जी तथा प्रमुख साहित्यकार, सेवानिवृत सह निदेशक, दूरदर्शन, हैदराबाद डॉ पी नागपद्मिनी ने प्रदान की| वेबिनार की सह-संयोजक एवं वाजा आंध्रप्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ कृष्णबाबु जी ने वाजा की गतिविधियों की जानकारी दी| प्रपत्र वाचन में डॉ बी शुभा ने विशाखपट्टणम के वरिष्ठ हिंदी सेवी डॉ एन डी नरसिंहा राव जी का समग्र परिचय दिया|
दूसरे दिन का उप विषय था ‘हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में हिंदीतर लेखकों का योगदान’|
तिरुवारूत के तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो.एस ए एस एस नारायण राजु जी ने आंध्र विश्वविद्यालय के सेवा निवृत्त, राष्ट्रपति पुरस्कर से सम्मानित, धेय समर्प्ति विशिष्ठ हिंदी सेवी आचार्य एस ए सूर्यनारायण वर्मा जी के व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जो अत्यंत ओजपूर्ण रहा| इसके पश्चात ‘काव्य कौमुदी अंतर्राष्ट्रीय काव्य मंच’ की निदेशिका प्रो.कुमुद बाला जी ने हिंदी की वर्तमान स्थिति और भविष्य का विस्तार विवरण देते हुए, हिंदी के विकास में अधिक कार्य करने पर जोर दिया| प्रपत्र वाचन में प्रो.वेंकट रमणा जी ने प्रो.आदेश्वर राव की कविताओं में निहित अद्भुत कल्पना शक्ति का अत्यंत सुंदर वर्णन किया| आगे सुश्री जयलक्ष्मी जी ने साहित्यकार आरिगिपूडी रमेश चौधरी का परिचय दिया| डॉ वरप्रसाद द्वारा श्री बालशौरी रेड्डी जी की रचनाओं की जानकारी दी गई| हिंदी अध्यापिका डॉ एस दीप्ती द्वारा सत्र का संचालन किया गया|
तीसरे दिन का उप विषय था ‘हिंदी के कार्य क्षेत्र में विदेशी विद्वानों की देन’| इस संदर्भ में प्रवासी साहित्यकारों के बारे में डॉ एस कृष्णबाबु का वक्तव्य प्रभावपूर्ण रहा| बल्गेरिया के सोफिया विवश्वविद्यालय की डीन प्रो.मिलेना ब्रतोएवा ने यूरोपीय देशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार तथा अनुवाद संबंधी अपने अनुभवों को शुध्द हिंदी में साझा किया| डॉ नीरजा का ‘मध्यकालीन हिंदी साहित्य’ से संबंधित प्रपत्र वाचन से लाभ हुआ|
इस संगोष्ठी में विद्यार्थिनियों के प्रार्थना गीत, नृत्य और सुंदर कविताओं ने सभी प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया| नेवल स्कूल की अध्यापिका एवं वाजा की सचिव डॉ सी एच निर्मला देवी ने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए सत्र का सफल संचालन किया|
अंत में डॉ नाथन, वैजाग स्टील ने प्रतिभागियों की और से वेबिनार के सफल आयजन हेतु निर्वाहकों को बधाई दी| वेबिनार संयोजिका प्रो.पी के जयलक्ष्मी जी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया| राष्ट्र गान से वेबिनार का समापन हुआ|