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भारत के रक्षा उद्योग में निवेश के लिए स्वीडिश कंपनियों को न्योता

  •  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वीडिश प्रतिनिधिमंडल को भारतीय रक्षा उद्योग दिखाने के लिए बुलाया

  •  बोले, रक्षा क्षेत्र में भारत की एफडीआई नीति स्वीडिश उद्योगों को सहयोग करने में सक्षम बनाएगी

  •  स्वीडिश कम्पनियां उप्र और तमिलनाडु के रक्षा गलियारों में निवेश करके उठा सकती हैं फायदा

नई दिल्ली, आखिरकार 34 साल बाद भारत बोफोर्स घोटाले के साये से बाहर आने लगा है। स्वीडन के साथ रक्षा उद्योग सहयोग पर मंगलवार को हुए वेबिनार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वीडिश रक्षा मंत्री को भारतीय रक्षा उद्योग में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए भारत सरकार की ओर से स्वीडिश प्रतिनिधिमंडल को भारत आने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में भारत की एफडीआई नीति स्वीडिश उद्योगों के साथ सहयोग करने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने कहा कि स्वीडिश कम्पनियां उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा गलियारों में निवेश करके काफी लाभ उठा सकती हैं।
रक्षा मंत्री मंगलवार को एसआईडीएम इंडिया की ओर से भारत-स्वीडन रक्षा उद्योग सहयोग पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। वेबिनार में स्वीडन के रक्षा मंत्री पीटर हल्टक्विस्ट भी अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ जुड़े थे। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और स्वीडन के बीच ऐतिहासिक रूप से अच्छे संबंध रहे हैं जो न केवल सामान्य मूल्यों बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं। हमारे बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत व्यापार और अनुसंधान एवं विकास संबंधों पर टिके हैं। राजनाथ सिंह ने बताया कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में जबरदस्त वृद्धि हुई है। भारत-स्वीडन के बीच 2016 में 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर व्यापार था जो 2019 में बढ़कर 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मजबूत संस्थागत तंत्र स्थापित किया गया है। स्वीडन में हमारे दूतावास के साथ-साथ भारत में स्वीडिश दूतावास इन आर्थिक संबंधों को बढ़ाने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। भारत और स्वीडन के बीच नवम्बर, 2009 में यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान रक्षा सहयोग समझौता हुआ था। उन्होंने कहा कि स्वीडन और भारतीय रक्षा उद्योगों के लिए सह-उत्पादन और सह-विकास की बहुत गुंजाइश है। भारतीय उद्योग स्वीडिश उद्योगों को भी कलपुर्जों की आपूर्ति कर सकता है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रक्षा उद्योग इस कदर मजबूत हुआ है कि वैश्विक मांग को भी पूरा किया जा सकता है। भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग से 74 प्रतिशत तक और सरकारी मार्ग के माध्यम से 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी है।
उन्होंने कहा कि साब जैसी स्वीडिश फर्मों की पहले से ही भारत में एक बड़ी उपस्थिति है और मुझे विश्वास है कि अन्य स्वीडिश कम्पनियां भी भारत के रक्षा उद्योग में निवेश करने के लिए आगे आएंगी। भारत में विश्व स्तरीय जहाज निर्माण उद्योग है। भारतीय शिपयार्डों में निर्मित जहाज अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं जिनकी लागत भी विदेशों की तुलना में काफी कम है। भारत के पास 41 आयुध कारखानों, 9 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, 12 हजार से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ विशाल रक्षा औद्योगिक आधार है। रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ जैसी भारत की नीतियां स्वीडिश-भारतीय साझेदारी के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं। इस तरह के एक साझेदारी मॉडल से स्वदेशीकरण पर प्रोत्साहन के माध्यम से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारतीय विक्रेताओं की भागीदारी में वृद्धि होगी।
साभार – हिस

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