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सेना की पूर्वी कमान और ​अंडमान निकोबार कमांड को मिलेंगे नए कमांडर

  •  ​लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने ​सेवानिवृत्ति पर अपनी ​पूर्वी कमान छोड़ दी

  •  ​​अब लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ​होंगे सेना की पूर्वी कमान ​के नए कमांडर ​​

  •  ​​लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ​​​​​​अंडमान निकोबार कमांड​ का कार्यभार संभालेंगे​​

नई दिल्ली, ​​पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी ​​लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने भारतीय सेना में 40 साल की सेवा के बाद ​सोमवार को ​​सेवानिवृत्ति पर अपनी कमान छोड़ दी। ​​​​अंडमान निकोबार कमांड के ​मौजूदा कमांडर-इन-चीफ ​​लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ​0​1 जून को पूर्वी कमान ​की ​और ​​​लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ​​​​​​अंडमान निकोबार कमांड​ का कार्यभार संभालेंगे। जनरल अजय सिंह ​के ​​परिवार ने ​162 वर्षों तक सेना की सेवा की है​ और वह अपने सैन्य परिवार की पांचवीं पीढ़ी से हैं​।​​
​पोर्ट ब्लेयर में मुख्यालय अंडमान निकोबार कमांड के ​मौजूदा ​कमांडर-इन-चीफ​​ ​लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे मंगलवार को पूर्वी सेना ​कमान के ​कमांडर के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। वह लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का स्थान लेंगे, जो 31 मई को सेवानिवृत्त ​हुए हैं​। लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह लेफ्टिनेंट जनरल पांडे से ​​अंडमान निकोबार कमांड​​ का पदभार ग्रहण करेंगे।​ ​​लेफ्टिनेंट जनरल पांडे को ​दिसम्बर,​ 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स (द बॉम्बे सैपर्स) में कमीशन दिया गया था।​ स्टाफ कॉलेज, केम्बरली (यूनाइटेड किंगडम) से स्नातक लेफ्टिनेंट जनरल पांडे इंजीनियर ​होने ​के साथ-साथ एक पैदल सेना ब्रिगेड​ और 8 माउंटेन की कमान संभाल​ चुके हैं।​
​​लेफ्टिनेंट जनरल पांडे​ ​कारगिल में डिवीजन और तेजपुर में 4 कोर, इरिट्रिया और इथियोपिया में संयुक्त राष्ट्र के दो असाइनमेंट के अलावा ​वह सैन्य सचिव की शाखा के साथ-साथ सैन्य संचालन निदेशालय में ​भी ​कार्य ​कर चुके ​हैं​​।​ ​वह 01 जून​,​ 2020 से ​आज तक​ ​अंडमान और निकोबार कमांड ​के ​कमांडर-इन-चीफ​ ​​थे​​।​​ यह भारत ​की इकलौती त्रि-सेवा ऑपरेशनल कमांड ​है जहां उन्होंने ​​उभरती हुई ​मौजूदा ​भू-रणनीतिक वास्तविकताओं और सुरक्षा गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए​ ​नए दृष्टि​कोण के साथ क्षमता निर्माण और बुनियादी ढांचे के विका​​स के लिए रोडमैप शुरू किया​​।
​अंडमान निकोबार कमांड​ का 01 जून को कार्यभार​ ​संभालने वाले ​​लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह​ का परिवार पांच ​पीढ़ियों से सेना​ के साथ​ है​।​​ ​इनके परिजनों ने 13 सितम्बर,1858 यानी 162 वर्षों से अधिक सेना ​से जुड़कर देश ​की सेवा की है। वह द लॉरेंस स्कूल, सनावर, एनडीए ​​और आईएमए​ ​​के पूर्व छात्र हैं। उन्हें ​दिसम्बर, ​1983 में ​​अपने दिवंगत पिता ​की बनाई गई​ ​81 आर्मर्ड रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था​​। लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने पंजाब और राजस्थान में सीमा पर तैनात एक बख्तरबंद रेजिमेंट, ब्रिगेड और डिवीजन और एक कोर की कमान संभाली है।​ उन्होंने कश्मीर घाटी और उत्तर पूर्व में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए स्वयंसेवी कार्यकाल भी संभाला है, जहां उन्हें सीमा पर एक माउंटेन डिवीजन में तैनात किया गया था।
​लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह​​ ​ने ​एक मेजर के रूप में सियाचिन ग्लेशियर पर कार्यकाल के लिए स्वेच्छा से भी काम किया था और मराठा लाइट इन्फैंट्री की एक बटालियन में तैनात थे​​।​ इसके ​साथ उन्होंने ऑपरेशन विजय​ ​कारगिल और मेघदूत सियाचिन ग्लेशियर में एक राइफल कंपनी की कमान संभाली और ​​वीरता के लिए ​सेना प्रमुख ​की ​प्रशंसा​ ​​​प्रशस्ति​ ​हासिल की। ​जनरल ने सेना मुख्यालय में सैन्य संचालन निदेशालय में अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में संवेदनशील पदों पर भी कार्य किया है और वित्तीय योजना के महानिदेशक (डीजी) और सैन्य प्रशिक्षण के महानिदेशक भी रहे हैं।​ लेफ्टिनेंट जनरल अजय को इंडोनेशिया में संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ मिशन लीडर कोर्स के साथ-साथ ​लन्दन में रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज (आरसीडीएस) पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए भी चुना गया था।

साभार – हिस

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