नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आर्य समाज ने हमेशा भारत विरोधी सोच, विदेशी विचारधारा को थोपने, विभाजनकारी मानसिकता को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाने के दुष्प्रयास का विरोध किया है। यह दुर्भाग्य है कि राजनीतिक कारणों से स्वतंत्रता संग्राम में आर्य समाज की भूमिका को उसके हक का सम्मान नहीं मिला।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दिल्ली के रोहिणी में ‘अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन’ में शामिल हुए। यह सम्मेलन महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती और आर्य समाज के 150 वर्षों की समाज सेवा के कार्यों के उपलक्ष में आयोजित ज्ञान ज्योति महोत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित भी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती को युगदृष्टा महापुरुष बताया और कहा कि आर्य समाज की स्थापना का 150 वां वर्ष केवल एक संप्रदाय से जुड़ा नहीं, बल्कि पूरे भारत की वैदिक पहचान से जुड़ा हुआ है। आर्य समाज अपनी स्थापना से लेकर आज तक प्रबल राष्ट्र भक्तों को लेकर चला है। उन्होंने कहा कि लाला लाजपत राय और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा ली थी।उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने बिना किसी डर के भारतीयता का वकालत की है। आर्य समाज हमेशा से देश विरोधी सोच और विदेशी विचारों और बांटने की मानसिकता के खिलाफ खड़ा हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत सतत विकास के एक प्रमुख वैश्विक समर्थक के रूप में उभरा है। स्वामी दयानंद द्वारा वेदों के ज्ञान को अपनाने के आह्वान की तरह, भारत अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर वैदिक सिद्धांतों और जीवनशैली को अपनाने का समर्थन कर रहा है। इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए, राष्ट्र ने मिशन लाइफ़ की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती सच्ची प्रगति को औपनिवेशिक शासन से मुक्ति से ही नहीं बल्कि समाज में व्याप्त सामाजिक अन्याय से मुक्ति से भी जोड़ते थे। उन्होंने भेदभाव और अस्पृश्यता का सक्रिय रूप से विरोध किया और लोगों से इन बुराइयों को मिटाने तथा एक अधिक समावेशी एवं समतामूलक समाज के निर्माण के लिए प्रयास करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीजी नेतृत्व में नारीशक्ति की भूमिका को समझते थे। उन्होंने महिलाओं को घर की चौखट तक सीमित समझने वाली सोच को चुनौती दी थी। उन्होंने आर्य समाज के स्कूलों में लड़कियों को शिक्षा देने का अभियान शुरू किया। उस समय जालंधर में शुरु किया कन्या विद्यालय कन्या महाविद्यालय बन गया था। स्वामी विवेकानंद ने महिलाओं को आगे लाने में अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं महिला स्कूल की स्थापना की और लोगों की मानसिकता बदलने की कोशिश की।
ऐसी क्रम में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति मुर्मु के राफेल विमान उड़ाने और उनके साथ स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह के होने का जिक्र किया और कहा कि आज बेटियां एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं और ड्रोन दीदी बनकर कृषि में आधुनिकता को प्रोत्साहित कर रही हैं। आज वह गर्व से कह सकते हैं कि भारत में दुनिया की सबसे अधिक विज्ञान, प्रोद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में सनातक महिलाएं हैं।
साभार – हिस
 Indo Asian Times । Hindi News Portal । इण्डो एशियन टाइम्स,। हिन्दी न्यूज । न रूकेगा, ना झुकेगा।।
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