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खाद्य सुरक्षा, जलवायु लचीलापन और डिजिटल सशक्तीकरण सिर्फ़ नीतियां नहीं, भविष्य की राह हैं : चंद्रशेखर पेम्मासानी

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों में 21वें अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) के विचार-मंथन सत्र से जो सामूहिक दृष्टिकोण सामने आया है, वह निश्चित रूप से एशिया और अफ्रीका-क्षेत्र के बीच गहरे संबंधों को मज़बूत करेगा और यह इस क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में काफ़ी मददगार साबित होगा। यह बात केंद्रीय ग्रामीण विकास और संचार राज्यमंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कही।

एएआरडीओ के समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि एशिया के चावल के खेतों से लेकर अफ्रीका के भूदृश्यों तक हमारी लोक परंपराओं और घनिष्ठ समुदायों में जो सामूहिक दृष्टि उभरी है, हमारे लोग उसी भविष्य-सम्मान, अवसर और प्रगति की तलाश में हैं।

उन्होंने बताया कि एएआरडीओ की अध्यक्षता संभालना एक विशेषाधिकार और जिम्मेदारी भी है, खाद्य सुरक्षा, जलवायु लचीलापन और डिजिटल सशक्तीकरण पर हमारी गतिविधियां और चर्चाएं केवल नीतियां नहीं हैं, यह भविष्य का रास्ता है। इस सम्मेलन ने इस बात की पुष्टि की है कि विकास तब सबसे मजबूत होता है जब यह समुदाय में निहित होता है, स्थानीय ज्ञान, प्रौद्योगिकी और दक्षिण-दक्षिण सहयोग से प्रेरित होता है।
एएआरडीओ में भारत के रुख को व्यक्त करते हुए डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि हमारी यात्रा साझा है और हमारी प्रगति सामूहिक होनी चाहिए। हममें से प्रत्येक को एक-दूसरे से सीखने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए कि विकास एशिया-अफ्रीका के सबसे दूरदराज के गांवों तक भी पहुंचे। प्रत्येक प्रतिभागी को उनकी अंतर्दृष्टि, मैत्री और एकता के लिए धन्यवाद देते हुए डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि यह मंच एक नई प्रतिबद्धता प्रदान करेगा और एकजुट मिशन के साथ उद्देश्य में मजबूती के लिए दृष्टि प्रदान करेगा।
साभार – हिस

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