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सबरीमाला यानि दक्षिण की अयोध्या में श्रद्धालुओं के दमन और बावरी के मंडन से बाज आए केरल सरकार

नई दिल्ली,भगवान् अय्यप्पा के भक्तों से वावर की पूजा क्यों करवा रही है केरला की कम्युनिस्ट सरकार? वावर की मस्जिद में भोले भाले हिंदू श्रद्धालुओं से अर्चना करवाना हमारी धार्मिक मान्यताओं और परम्पराओं के अपमान और जिहादियों के गुप्त सम्मान के गहरे षड्यंत्र का द्योतक है। 41 दिवसीय कठोर व्रत का निष्ठा और विश्वास के साथ पालन करने वाले भगवान् अय्यप्पा के भक्तों का वावर से क्या संबंध? राज्य सरकार और उससे जुड़े कुछ हिंदू द्रोही स्वार्थी तत्व गत कुछ वर्षों से वावर की कथित मस्जिद के माध्यम से ना सिर्फ हिंदू समाज से पैसा और श्रद्धा की लूट कर रहे हैं अपितु, लगता है कि भविष्य में हिंदुओं की अयोध्या में बाबरी ढांचा बनाने की फिराक में भी हैं, जो हिंदू समाज अच्छी तरह समझ रहा है। वावर को भगवान अय्यप्पा का फास्ट फ्रेंड बताने की मुसलमीन गैंग द्वारा गढ़ी गईं मनगढ़ंत कहानियों पर अब पूर्ण विराम लगाना होगा।
दूसरा, राज्य सरकार का देवस्वम बोर्ड भगवान् को अर्पित किए बिना भी भक्तों से प्रसाद के नाम पर भरी रकम ऐंठ कर अपनी तिजोरी भर रहा है। जो कि एक सरेआम धोखेबाजी और श्रद्धा व विश्वास के साथ आघात है। सरकार तिलक लगाने के भी श्रद्धालुओं से 10 रु वसूलती है। कोई कुल पुरोहित पूजा कराना चाहे तो उसको अनुमति नहीं है।
सरकार की उदासीनता के चलते मार्ग में अनेक असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। तीन दिन पूर्व ही 16 नवंबर से प्रारंभ हुई मण्डल पूजा मार्ग में ना पीने को जल है ना मार्ग में भोजन, ना शौचालय है ना यूरीनल, ना वाहन व्यवस्था ना चिकित्सा सुविधा। यदि है तो गंदगी का अंबार, हलाल का खाना और जिहादियों के होटल में भोजन की मजबूरी।
सुविधा की मांग हेतु समाज यदि खड़ा भी होता है तो उसका दमन कर झूठे केस लगाते हैं। ऊपर से मुख्यमंत्री कहते हैं कि यदि सुविधाएं कम हैं तो श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करो।
ऐसे में हिंदुओं के इस पवित्र तीर्थ को समाप्त करने के कम्युजिहादी षड्यंत्रों पर सम्पूर्ण इंडी गठबंधन की चुप्पी उसके हिंदू द्रोही चरित्र को तो पुनः उजागर करती ही है, दक्षिण भारत के प्रति उनकी उदासीनता को भी दर्शाती है।
राज्य सरकार को जागना होगा अन्यथा हिंदू समाज इसे और बर्दाश्त नहीं करेगा।

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