ग्वालियर (म.प्र.)। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का प्रतिष्ठित महोत्सव एवं विश्व संगीत समागम ‘तानसेन समारोह’ की पारंपरिक शुरुआत संगीत की नगरी ग्वालियर में हजारी स्थित तानसेन समाधि स्थल पर रविवार सुबह शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन के साथ हुई। समारोह का औपचारिक आगाज सायंकाल सात बजे तानसेन समाधि परिसर में ऐतिहासिक राजा मानसिंह महल की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर होगा। इसी मंच पर बैठकर देश और दुनिया के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।
ग्वालियर के हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर रविवार सुबह की बेला में उस्ताद मजीद खां एवं साथियों ने परंपरागत ढंग से रागमय शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ हरिकथा सुनाई। उन्होंने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन में ईश्वर और मनुष्य के रिश्तों को उजागर किया।
उन्होंने कहा कि परहित से बढ़कर कोई धर्म नहीं। अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान है तथा ईश्वर के अंश भी हैं। सभी मतों का एक ही है संदेश है कि सभी नेकी के मार्ग पर चलें। सुर ही धर्म है जो निर्विकार भाव से गाता है वही भक्त है। उन्होंने राग ‘बैरागी’ में तुलसीदास द्वारा रचित भजन प्रस्तुत किया। भजन के बोल थे ‘भजन बिन तीनों पन बिगड़े’। उन्होंने प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम’ का गायन भी किया। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न रागों में पिरोकर अन्य भजन भी गए।
ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मौलाना इकबाल लश्कर कादिरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मिलाद शरीफ की तकरीर सुनाई। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी भक्ति मोहब्बत है। उनके द्वारा प्रस्तुत कलाम के बोल थे ‘तू ही जलवानुमा है मैं नहीं हूं’। अंत में हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जादा नसीन द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई।
इससे पहले जनाब फरीद खानूनी व जनाब भोलू झनकार एवं उनके साथी कव्वाली गाते हुए चादर लेकर पहुंचे। कव्वाली के बोल थे ‘खास दरबार-ए-मौहम्मद से ये आई चादर’।
तानसेन समाधि पर परंपरागत ढंग से आयोजित हुए इस कार्यक्रम में कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश चंदेल, संस्कृति संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी, जिला पंचायत सीईओ विवेक कुमार, उस्ताद अलाउद्दीन खां कला एवं संगीत अकादमी के निदेशक जयंत माधव भिसे, ध्रुपद गुरु अभिजीत सुखदाने सहित अन्य कलारसिक, उस्ताद अलाउद्दीन खां कला एवं संगीत अकादमी के अधिकारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
गौरतलब है कि राज्य शासन के संस्कृति विभाग के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी द्वारा हर साल जिला प्रशासन व नगर निगम के सहयोग से तानसेन समारोह का आयोजन किया जाता है। सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले तानसेन समारोह का इस साल 99वां वर्ष है। इस बार यह समारोह 24 से 28 दिसम्बर तक आयोजित होगा।
रविवार को सायंकाल सजने जा रही संगीत सभा में इस साल तानसेन अलंकरण से विभूषित होने जा रहे पं. गणपति भट्ट हासणगि धारवाड़ का गायन होगा। डॉ. गणपति भट्ट को 25 दिसम्बर को सायंकाल भव्य अलंकरण समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा इस साल के तानसेन अलंकरण से सम्मानित किया जाएगा। समारोह के दौरान संगीतधानी ग्वालियर की फिजा अगले पांच दिनों तक सुर, ताल व राग की बारिश में सराबोर रहेगी।
साभार -हिस