नई दिल्ली, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि आतंकवाद (टेररिज्म) आज एक ऐसा विकराल रूप धारण किया है जिसका प्रभाव हर स्तर पर दिखता है। उन्होंने कहा “आतंकवाद लोकतंत्र, मानवाधिकार, आर्थिक प्रगति तथा विश्व शांति के खिलाफ सबसे बड़ा नासूर है, जिसे हमें जीतने नहीं देना है।” शाह ने आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों को एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि कोई भी एक देश या कोई भी एक संगठन, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, आतंकवाद को अकेला हरा नहीं सकता। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगातार इस जटिल और बॉर्डर-लेस खतरे के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा।
शाह यहां आतंकवाद के वित्तपोषण का मुक़ाबला विषय पर तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के ‘आतंकवाद और आतंकवादियों को वित्त उपलब्ध कराने की वैश्विक प्रवृत्ति’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारत ने टेररिज्म के सभी रूपों सहित कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। टेररिज्म के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति, काउंटर-टेरर कानूनों के मजबूत फ्रेमवर्क तथा एजेंसियों के सशक्तिकरण के कारण भारत में टेररिज्म से होने वाली घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है तथा टेररिज्म के मामलों में सख्त सजा दिलाने में सफलता हासिल की गई है।
शाह ने कहा कि इन्वेस्टीगेशन को विज्ञान और तकनिक से लैस करने के उद्देश्य से फॉरेंसिक साइंस को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस दिशा में प्रधानमंत्री मोदी जी की परिकल्पना से दुनिया के पहले राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने यह भी तय किया है कि टेररिज्म, नारकोटिक्स और आर्थिक अपराध जैसे अपराधों पर राष्ट्री य और अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित किया जाए। साइबर अपराध का व्यापक तरीके से मुकाबला करने के लिए भारत सरकार ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना की है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि भारत “काउंटर-टेररिज्म) तथा कॉम्बैटिंग दी फाइनेंसिंग ऑफ़ टेररिज्म (के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का केंद्र बिंदु होगा। हम टेररिज्म के सभी रूपों के खिलाफ एक प्रभावी, दीर्घकालिक और ठोस लड़ाई के बिना भय-मुक्त समाज, भय-मुक्त दुनिया नहीं सोच सकते हैं। हमारे राष्ट्रों के नागरिकों ने नेतृत्व के ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है – उनकी सुरक्षा की और यह हमारा कर्तव्य है कि इस जिम्मेदारी की कसौटी पर हम खरे उतरें।
शाह ने कहा कि पिछले दो दशकों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस खतरे से निपटने के लिए एक ढाँचा विकसित किया है जिसका मुख्य उद्देश्य “काउंटर-टेररिज्म सैंक्शन व्यवस्था” खड़ी करना है। टेररिज्म को स्टेट-फंडेड इंटरप्राइज बनाने वाले देशों की कार्रवाईयों पर कुछ हद तक अंकुश लगाने का काम यूनाइटेड नेशन्स द्वारा स्थापित इस व्यवस्था ने सफलता से किया है, लेकिन इसे और कठोर, पारदर्शी व सटीक बनाना है।
उन्होंने सम्मेलन में भाग ले रहे देशों के प्रतिनिधियों से अपील करते हुए कहा कि हमारी सबसे पहली प्रतिबद्धता होनी चाहिए पारदर्शिता और सहयोग की। सभी देशों और संगठनों को बेहतर और प्रभावी तरीके से इंटेलिजेंस साझा करने में पूरी तरह से पारदर्शिता का संकल्प लेना होगा। हमें टेररिज्म और टेररिस्ट गुटों के खिलाफ इस लड़ाई को प्रत्येक भौगौलिक और वर्चुअल क्षेत्र में लड़ना होगा।
शाह ने आगे कहा कि ऐसे कई मामले सामने हैं, जहां अन्य मकसदों की आड़ में कुछ संगठन, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और रेडिकलाइजेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। यह भी देखा गया है कि यह संगठन, आतंकवाद को फाइनेंस करने के चैनल भी बनते हैं। अभी हाल ही में भारत सरकार ने सामाजिक गतिविधियों की आड़ में युवाओं को रेडिकलाइज करके उन्हें आतंक की ओर धकेलने की साजिश करने वाली एक संस्था को बैन करने का काम किया है। उनका इशारा पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की ओर था। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश को ऐसी संस्थाओं को चिन्हित करके उनके विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए।
शाह ने कहा कि कुछ देशों, उनकी सरकारों और एजेंसियों ने ‘टेररिज्म’ को स्टेट पालिसी बनाया है। टेरर हेवन्स पर आर्थिक प्रतिबंध के साथ-साथ सभी प्रकार की नकेल कसना आवश्यक है। इस पर दुनिया के सभी देशों को अपने जियो-पोलिटिकल इंटरेस्ट से ऊपर उठकर एक मन बनाना होगा । उन्होंने कहा कि कुछ देश राजनीति के लिए आतंकवादियों और आतंकवाद को पनाह देने वालों का बार बार समर्थन करते हैं। मेरा मानना है कि आतंकवाद की कोई अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं होती इसलिए सभी देशों को राजनीति को भुलाकर एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए। साथ ही, सभी देशों को ‘टेररिज्म’ और ‘टेरर फाइनेंसिंग’ की व्याख्या पर सहमति बनानी होगी। यह हमारे नागरिकों की सुरक्षा तथा मानवाधिकार और लोकतांत्रिक अधिकारों के रक्षा का मुद्दा है, न कि एक राजनैतिक मुद्दा !
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यही है कि टेररिज्म और टेरर फाइनेंसिंग के सभी चैनलों की पहचान कर, टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ एक प्रैक्टिकल तथा वर्केबल रोडमैप बनाया जाये। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और वर्ल्ड बैंक के एक अनुमान के अनुसार दुनियाभर के अपराधई हर वर्ष लगभग 2 से 4 ट्रिलियन डॉलर की लॉन्ड्रिंग करते हैं और इसमें से एक बड़ा हिस्सा टेररिज्म बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन चुनौतियों को देखते हुए सभी देशों के काउंटर-टेरर और टेरर फाइनेंसिंग के क्षेत्रों में काम करने वाली एजेंसियों एवं उनके अधिकारियों को एक दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी।
साभार-हिस