-
‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार कर रहा है यह आयोजनः आदित्यनाथ
वाराणसी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर मैदान में एक माह तक चलने वाले ‘काशी-तमिल संगमम’ का शुभारंभ किया। इस दौरान प्रधानमंत्री को दक्षिण भारतीय परिधान में देख कर पूरा पंडाल वणक्कम-वणक्कम और हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा।
संगमम् में आये तमिलनाडु के छात्रों और 09 धर्माचार्यों (आदिनम) ने प्रधानमंत्री को तमिलनाडु के पारंपरिक परिधान (सफेद शर्ट और लुंगी), कंधे पर सफेद गमछा में देख खुशी जताई। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु से आये 09 शैव मठाधीशों के समूह से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर काशी तमिल संगमम् पर आधारित लघु फिल्म देखने के अलावा तमिल समेत 13 भाषा में लिखी गई धार्मिक पुस्तक तिरुक्कुरल और काशी-तमिल संस्कृति पर लिखी गईं पुस्तकों का विमोचन किया। तमिलनाडु के पारम्परिक लोक संगीत को भी सुना। “वणक्कम” का मतलब नमस्कार करना है।
इससे पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री के साथ संगमम में आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। आदित्यनाथ ने कहा कि यह आयोजन आज़ादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार कर रहा है। काशी और तमिलनाडु में भारतीय संस्कृति के सभी तत्व समान रूप से संरक्षित हैं। काशी और तमिलनाडु में धर्म, ज्ञान और संस्कृति के एक ही तत्व हैं। दोनों की अपनी प्राचीन संस्कृति है जो इसे विशेष बनाती है। यह मान्यता है कि भगवान शिव के मुंह से जो दो भाषाएं निकलीं वह तमिल और संस्कृत थीं। काशी तमिल संगमम के आयोजन से तमिलनाडु के अतिथि उत्तर और दक्षिण के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करेंगे। इस आयोजन के जरिए तमिलनाडु के लोग काशी और समृद्ध उत्तर प्रदेश को जानेंगे। तमिलनाडु में तेनकाशी नामक एक स्थान है जिसका मतलब दक्षिण का काशी है। तमिल और काशी के बीच संबंध बहुत पुराना है।
मंच पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल मुरुगन, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के राज्यपाल, सांसद इलैयाराजा, तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदि की मौजूदगी रही।
साभार-हिस