हैदराबाद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख एवं हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कट्टरपंथी दृष्टिकोण का हमेशा विरोध किया है, लेकिन उस पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता।
केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई पर पांच साल के लिए लगाए गए प्रतिबंध के फैसले के एक दिन बाद ओवैसी ने एक बयान में कहा कि उन्होंने पीएफआई के कट्टरपंथी दृष्टिकोण का हमेशा विरोध किया है, लेकिन पीएफआई पर इस प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता क्योंकि संगठन के कुछ व्यक्तियों द्वारा किये गये अपराध का यह मतलब नहीं है कि पूरे संगठन को ही प्रतिबंधित कर जाए।
सांसद ओवैसी ने सवाल किया कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन ख्वाजा अजमेरी बम धमाकों में लिप्त संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा रहा है? सरकार ने दक्षिणपंथी संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया? ओवैसी ने कहा कि इस तरह का कठोर प्रतिबंध खतरनाक है, क्योंकि यह किसी भी मुसलमान पर रोक लगाता है जो अपने मन की बात कहना चाहता है।
उल्लेखनीय है कि अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 2007 में हुए बम विस्फोट में तीन श्रद्धालु मारे गए थे और 15 घायल हुए थे। जयपुर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक विशेष अदालत ने बाद में दो लोगों को बम विस्फोट में संलिप्तता का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कुछ लोगों का दावा है कि इन दोनों सजायाफ्ता का संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से था।
साभार-हिस
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