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कठिन परिश्रम के बाद भी प्राइवेट कर्मचारियों को कोई राहत नहीं, सौतेला व्यवहार क्यों ?

क्या प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी सिर्फ टैक्स भरते रहेंगे व महंगाई की मार ही झेलते रहेंगे ? देश निर्माण में जितना योगदान सरकारी कर्मचारियों का है उतना ही योगदान या उनसे कहीं अधिक योगदान प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों का भी है। जब वोट देने और सरकार के नवनिर्माण में कोई भेदभाव नहीं, तो फिर कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं में सरकार के तरफ से सौतेला व्यवहार क्यों ? 
विनय श्रीवास्तव (स्वतंत्र पत्रकार)
प्राइवेट कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों ? सरकारी कर्मचारियों के लिए अनेकों राहत के भत्ते, जबकि प्राइवेट कर्मचारियों को कठिन परिश्रम के बाद भी कोई राहत नहीं। क्या प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी सिर्फ टैक्स भरते रहेंगे व महंगाई की मार ही झेलते रहेंगे ? देश निर्माण में जितना योगदान सरकारी कर्मचारियों का है उतना ही योगदान या उनसे कहीं अधिक योगदान प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों का भी है। जब वोट देने और सरकार के नवनिर्माण में कोई भेदभाव नहीं, तो फिर कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं में सरकार के तरफ से सौतेला व्यवहार क्यों ? सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं में जमीन आसमान का अंतर क्यों ?
महंगाई दिनों दिन आसमान छू रही है। पेट्रोल, डीजल, गैस, फल, सब्जियां, राशन से लेकर रेल, बस व हवाई किराए सब कुछ महंगाई के अपने उच्चतम स्तर पर है। कोरोना महामारी में लाखों लोग बेरोजगार हुए। प्राइवेट सेक्टर के लाखों कर्मचारियों की इस महामारी में या तो सैलरी में कटौती की गई या फिर कोई बढ़ोतरी ही नहीं हुई या फिर नौकरी से ही हाथ धोना पड़ा। ऐसे खुशकिस्मत बहुत कम ही लोग होंगे, जिन्हें इन समस्याओं को नहीं झेलना पड़ा हो। लोग अनेकों परेशानियों का सामना अभी भी कर रहे हैं। अब जब धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य हो रहा है तो महंगाई की मार से लोग परेशान हैं। छोटे छोटे नौकरी पेशा लोग व कारोबारी वर्ग, जिन्हें प्रतिदिन अपने वाहन से कार्य के लिए यात्रा करनी होती है, वे लोग पेट्रोल और डीजल की महंगाई से त्रस्त हैं। निजी कंपनियों के कर्मचारियों, मजदूरों, व्यापारियों आदि की तनख्वाह या व्यापार में पिछले दो वर्षों में भले ही कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई हो, लेकिन महंगाई तो जबरदस्त बढ़ ही रही है। गैस सिलेंडर की महंगाई ने अलग आग लगा रखी है। दो साल पहले तक जो घरेलू गैस सिलेंडर 500 रुपये तक में आती थी, वह अब लगभग दो गुनी हो चुकी है। यानी हर चीज महंगाई की उच्चतम स्तर को पार कर गई है। लेकिन अफसोस की यह महंगाई सरकारों को सिर्फ अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए दिखाई देती है। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते का तोहफा बराबर देती रहती हैं। यहां तक की त्योहारों पर भी उन्हें बोनस के रूप में अच्छी खासी रकम प्रदान की जाती है। वहीं बेचारे प्राइवेट कर्मचारी कठिन परिश्रम के बाद भी सिर्फ टैक्स भरने व महंगाई की मार झेलने के लिए मजबूर हैं।
प्राइवेट कर्मचारी पूरे साल बजट का इंतजार करता है लेकिन उसे वहां भी मायूसी ही मिलती है। माना कि सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों की सुविधाओं में अंतर होता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं की प्राइवेट कर्मचारियों के साथ अन्याय हो। जो महंगाई सरकारी कर्मचारियों के लिए है वही महंगाई प्राइवेट कर्मचारियों के लिए भी है। ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को चाहिए कि प्राइवेट सेक्टर में कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए भी ऐसा कानून पारित करें जिससे कि उनके हक को नहीं मारा जाय और बढ़ती महंगाई के हिसाब से उन्हें भी उचित राहत भत्ता प्रदान की जाय, ताकि वे भी अपने परिवार का पालन पोषण व बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें।
हाल ही में केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारियों को महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) और महंगाई राहत (Dearness Relief) बढ़ाकर खुशखबरी दे चुकी है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को जुलाई से बढ़ा हुआ डीए और डीआर मिलने वाला है। जुलाई, 2021 से भत्ते की दर को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया है। इसके बाद कई राज्यों ने भी डीए बढ़ाने की घोषणा कर दी है। बता दें कि बढ़ा हुआ डीए और डीआर देने के लिए केंद्र के सरकारी खजाने पर 34,401 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यह वृद्धि डेढ़ साल के अंतराल पर की गयी है और इससे केंद्र सरकार के करीब 1.14 करोड़ कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों को लाभ होगा। कई राज्यों ने भी अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए डीए बढ़ा दिया है। यूपी ने भी केंद्र की तर्ज पर डीए की दर में 11 फीसदी की बढ़ोतरी की है। सरकार की कोशिश है कि जुलाई के वेतन के साथ ही उनका बढ़ा हुआ डीए दिया जाए, लेकिन कुछ विभागों में इसमें देरी हो सकती है, ऐसे में कुछ विभागों के कर्मचारियों को अगस्त के वेतन के साथ सैलरी बढ़े हुए एरियर के साथ मिलेगी। झारखंड सरकार ने भी अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 1 जुलाई से 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया है। इसी तरह 1 जनवरी 2016 से पुनरीक्षित/प्रभावी राज्य सरकार के पेंशनधारियों/पारिवारिक पेंशनधारियों को भी पहली जुलाई 2021 से महंगाई राहत की दरों में अभिवृद्धि की स्वीकृति दी गई। कर्नाटक में मंहगाई भत्ता 11.25 प्रतिशत से 21.20 प्रतिशत किया गया हैै।
इसी प्रकार अन्य राज्यों ने भी महंगाई भत्ते बढ़ाये हैं। यह आंकड़े बताने का तात्पर्य यह है कि सभी सरकारें अपने सरकारी कर्मचारियों की हित के लिए राहत सुविधाएं दे रही हैं। लेकिन प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की भी सुध लेने की जरूरत है। सरकारों के लिए सभी नागरिक बराबर हैं। इसलिए उनका कर्तव्य है कि प्रत्येक वर्ग के साथ न्याय करें। उनका भी ख्याल रखें।

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