ॐ नमः शिवाय
दिनांक 13 सितम्बर 2021
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत -1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास-भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – सप्तमी शाम 03:10 तक तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र – अनुराधा सुबह 08:24 तक तत्पश्चात जेष्ठा
योग – विष्कंभ सुबह 08:51 तक तत्पश्चात प्रीति
राहुकाल -सुबह 07:57 से सुबह 09:30 तक
सूर्योदय – 06:26
सूर्यास्त – 18:42
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – महालक्ष्मी व्रत आरंभ, गौरी पूजन
विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
राधा अष्टमी
14 सितम्बर, मंगलवार को श्रीराधा अष्टमी है। जन्माष्टमी के पूरे 15 दिन बाद ब्रज के रावल गांव में राधा जी का जन्म हुआ । भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी व्रत रखा जाता है। पुराणों में राधा और रुक्मिणी को एक ही माना जाता है। जो लोग राधा अष्टमी के दिन राधा जी की उपासना करते हैं, उनका घर धन संपदा से सदा भरा रहता है।
➡ पुराणों के अनुसार राधा अष्टमी
➡ स्कंद पुराण के अनुसार राधा श्रीकृष्ण की आत्मा हैं। इसी कारण भक्तजन सीधी-साधी भाषा में उन्हें ‘राधारमण’ कहकर पुकारते हैं।
➡ पद्म पुराण में ‘परमानंद’ रस को ही राधा-कृष्ण का युगल-स्वरूप माना गया है। इनकी आराधना के बिना जीव परमानंद का अनुभव नहीं कर सकता।
भविष्य पुराण और गर्ग संहिता के अनुसार, द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी पर अवतरित हुए, तब भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन महाराज वृषभानु की पत्नी कीर्ति के यहां भगवती राधा अवतरित हुई। तब से भाद्रपद शुक्ल अष्टमी ‘राधाष्टमी’ के नाम से विख्यात हो गई।
➡ नारद पुराण के अनुसार ‘राधाष्टमी’ का व्रत करनेवाला भक्त ब्रज के दुर्लभ रहस्य को जान लेता है।
➡ पद्म पुराण में सत्यतपा मुनि सुभद्रा गोपी प्रसंग में राधा नाम का स्पष्ट उल्लेख है। राधा और कृष्ण को ‘युगल सरकार’ की संज्ञा तो कई जगह दी गई है।
अन्नपूर्णा प्रयोग
➡ प्रत्येक पूर्णिमा को घर के अन्न – भंडार के स्थान पर कपास के तेल का दीपक जलायें | इसके प्रभाव से घर की रसोई में बहुत बरकत होती है | यह अन्नपूर्णा प्रयोग हैं |
पंचक
: 18 सितंबर दोपहर 3.26 बजे से 23 सितंबर प्रात: 6.45 बजे तक
एकादशी
सितंबर 2021: एकादशी व्रत
17 सितंबर: परिवर्तिनी एकादशी
प्रदोष
सितंबर 2021: प्रदोष व्रत
18 सितंबर: शनि प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
20 सितंबर सोमवार भाद्रपद
आज जिनका जन्मदिन है, उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं
दिनांक 13 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 4 होगा। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति जिद्दी, कुशाग्र बुद्धि वाले, साहसी होते हैं। आपका जीवन संघर्षशील होता है। इनमें अभिमान भी होता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में अनेक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है।
जैसे तेज स्पीड से आती गाड़ी को अचानक ब्रेक लग जाए ऐसा उनका भाग्य होगा। लेकिन यह भी निश्चित है कि इस अंक वाले अधिकांश लोग कुलदीपक होते हैं। ये लोग दिल के कोमल होते हैं किन्तु बाहर से कठोर दिखाई पड़ते हैं। इनकी नेतृत्त्व क्षमता के लोग कायल होते हैं।
शुभ दिनांक : 4, 8, 13, 22, 26, 31,
शुभ अंक : 4, 8,18, 22, 45, 57,
शुभ वर्ष : 2031, 2040, 2060
ईष्टदेव : श्री गणेश, श्री हनुमान
शुभ रंग : नीला, काला, भूरा
कैसा रहेगा यह वर्ष
मान-सम्मान में वृद्धि होगी, वहीं मित्र वर्ग का सहयोग मिलेगा। नवीन व्यापार की योजना प्रभावी होने तक गुप्त ही रखें। यह वर्ष पिछले वर्ष के दुष्प्रभावों को दूर करने में सक्षम है। आपको सजग रहकर कार्य करना होगा। शत्रु पक्ष पर प्रभावपूर्ण सफलता मिलेगी। नौकरीपेशा प्रयास करें तो उन्नति के चांस भी है। विवाह के मामलों में आश्चर्यजनक परिणाम आ सकते हैं। परिवारिक मामलों में सहयोग के द्वारा सफलता मिलेगी।