कलयुग में भोलेनाथ की उपस्थिति का साक्षात प्रमाण भीम शिला केदारनाथ।
16 जून 2013 को केदारनाथ महाजलप्रलय के दौरान अपनी जान बचाकर ऊंचाई वाले स्थानो पर पहुंचे।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया की आपदा काल के दौरान उन्होंने प्रचंड वेग से इस शिला को मंदिर की ओर आते देखा तो उन्हें लगा कि यह शिला मंदिर से टकराकर मंदिर को ध्वस्त कर देगी! परंतु उन्होंने देखा कि मंदिर के समीप आते ही शिला का वेग अचानक थम गया। साथ ही उन्होंने बड़े-बड़े पदचाप की आवाजें सुनी, जैसे कोई अदृश्य महाशक्ति इस शिला को मंदिर के पीछे बीचों-बीच सही दिशा में व्यवस्थित कर रही है। शिला के व्यवस्थित होते ही महाजल प्रलय ने प्रचंड रूप धारण कर लिया तथा पानी का प्रबल वेग शिला से टकराकर दो भागों में विभक्त होकर मंदिर के दोनों किनारों से निकलने लगा, जिससे मंदिर एवं उसमें शरण लिए लोग सुरक्षित बच गए। मंदिर के अर्चक, प्रबंध समिति के सदस्य भी इस बात से इंकार नहीं करते कि यदि यह शिला प्रगट नहीं हुई होती तो मंदिर का बच पाना नामुमकिन हो जाता। धार्मिक_विद्वानों एवं स्थानीय मान्यता है कि इस शिला की स्थापना स्वयं महाबली भीम द्वारा अपने आराध्य के मंदिर को महाआपदा से बचाने के लिए की थी। वैसे भी आधुनिक_वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महा आपदा के दौरान इस शिला का इस तरह प्रगट होना तथा शिला का आकार मंदिर की चौड़ाई के बिल्कुल बराबर होना। अभी भी नहीं जाना जा सका।
जय श्री जागृत महादेव, हर हर महादेव! जय श्री केदारनाथ।
साभार पी श्रीवास्तव
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