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पाकिस्तानी अखबारों सेः अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी पर भारत की जुबान बोलने का मढ़ा आरोप

  • अबूधाबी डायलॉग की अध्यक्षता मिलने पर खुद की पीठ थपथपाई, कहा- भारत की लॉबिंग हुई नाकाम

नई दिल्ली, पाकिस्तान से मंगलवार को प्रकाशित अधिकांश समाचारपत्रों ने अफगानिस्तान में चल रहे सत्ता संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की तरफ से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को ब्लेम गेम से बाज रहने की नसीहत दिए जाने की खबरें प्रकाशित की हैं। अखबारों ने लिखा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान पर आरोप मढ़ना बंद करे। उनका कहना है कि अफगानिस्तान में अमन की जमानत पाकिस्तान नहीं दे सकता है।
कुरैशी का कहना है कि बातचीत नाकाम होती है तो जिम्मेदार अफगान सरकार होगी। नाकामी का ठीकरा पाकिस्तान पर डालने की कोशिश की जा रही है। भारत की जबान बोलने वालों पर दुख होता है। पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की बैठक के लिए दावतनामा दिया जाना चाहिए। भारत ने हमारे निवेदन को स्वीकार नहीं कर अच्छा रवैया नहीं अपनाया है। अखबारों ने अफगानिस्तान में चल रही लड़ाई के दौरान तालीबान की तरफ से 6वें राज्य की राजधानी पर कब्जा किए जाने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को 2 साल के लिए अबूधाबी डायलॉग की अध्यक्षता की जिम्मेदारी मिलने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि अबूधाबी डायलॉग का गठन एशियाई देशों में समन्वय बढ़ाने के लिए वर्ष 2000 में किया गया था। अबूधाबी डायलॉग में सदस्य के तौर पर भारत समेत 18 देश शामिल हैं। अखबारों का कहना है कि भारत की भरपूर लॉबिंग के बावजूद पाकिस्तान को इसकी जिम्मेदारी मिली है जो एक बड़ी कामयाबी बताई जा रही है। पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद का एक बयान भी अखबारों ने छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पास अब दो ही विकल्प बचे हैं। या तो वह ब्रिटेन में रहने के लिए राजनीतिक शरण लें या फिर अपने वीजा में वृद्धि के लिए अपील करें। अखबारों ने पाकिस्तान में रुपये के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने की खबरें देते हुए कहा है कि इसकी वजह से स्टॉक एक्सचेंज में भारी गिरावट दर्ज की गई है और इसकी वजह से लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है।

पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद का एक और बयान अखबारों ने छापा जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत और इजराइल हमारी शांति से खेलना चाहते हैं। उनका कहना है कि भारत, इजराइल और एनडीएस की साजिशों को मिलकर नाकाम बनाएंगे। अखबारों ने क्वेटा में सीटीडी की कार्रवाई में पांच आतंकवादियों के मारे जाने की खबर दी हैं। अखबारों ने डेरा इस्माइल खां में आतंकवादी हमला होने और हथियारबंद लोगों के फायरिंग में तीन कस्टम अधिकारियों के मारे जाने की खबर दी है। अखबार का कहना है कि कस्टम की मोबाइल टीम को हथियारबंद लोगों ने घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी जिसमें तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। अखबारों ने अफगानिस्तान में पिछले 3 दिनों की लड़ाई में 27 बच्चों के मारे जाने की खबर दी है। अखबारों ने यूनिसेफ का हवाला देते हुए कहा है कि तालिबान और अफगान फौज के दरमियान होने वाली लड़ाई में कम से कम 27 बच्चों के मारे जाने की खबर है। अखबारों ने अफगानिस्तान में चल रही लड़ाई के दौरान तकरीबन ढाई लाख लोगों के बेघर होने की भी खबर दी है। अखबारों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के हवाले से कहा है कि अफगानिस्तान में चल रही भीषण लड़ाई के दौरान लोग अपना घर बार छोड़कर भाग रहे है। यह सभी खबरें रोजनामा औसाफ, रोजनामा पाकिस्तान, रोजनामा खबरें, रोजनामा दुनिया, रोजनामा एक्सप्रेस, रोजनामा नवाएवक्त और रोजनामा जंग ने अपने पहले पन्ने पर छापी हैं। रोजनामा दुनिया ने राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ नारेबाजी किए जाने की खबर दी है। अखबार ने लिखा है कि संसद के करीब होने वाले इस कार्यक्रम में मुसलमानों के कत्लेआम की धमकियां खुलेआम दी गई हैं। अखबार ने लिखा है कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला सामने आया है। अखबार का कहना है कि इस वीडियो में मौजूद लोगों के जरिए यह कहा जा रहा है कि ‘हिंदुस्तान में रहना है तो जय श्री राम कहना होगा’ जैसे भड़काऊ नारे लगाए गए हैं। अखबार का कहना है कि हिंदुत्ववादी संगठनों के जिम्मेदारों की तरफ से की गई इस कार्रवाई के बाद पुलिस ने अभी तक किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया है।

रोजनामा नवाएवक्त ने एक खबर दी है जिसमें बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के चीफ जस्टिस ने कहा है कि मानव अधिकारों के सबसे ज्यादा हनन का मामला पुलिस थानों से सामने आता है। उनका कहना है कि पुलिस थाने मानवाधिकारों और मानव समाज की इज्जत के लिए सबसे बड़ा खतरा है। जस्टिस एनवी रमना ने नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के मोबाइल ऐप के उद्घाटन अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि मानवाधिकारों की सबसे ज्यादा धज्जियां और लोगों पर होने वाले अत्याचार का सबसे ज्यादा खतरा थानों में होता है। उनका कहना है कि थानों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए लोगों को कानूनी मदद नहीं मिल पाती है जबकि इसकी सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। उनका कहना है कि देश का दबा कुचला व्यक्ति इंसाफ के दायरे से बाहर हो गया है।
साभार – हिस

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