इस नीति के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक के सर्वाधिक प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को ढूंढकर उन्हें अगले स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नि:शुल्क देना आवश्यक है। परियोजना की कुल लागत 600 करोड़ रुपये आंकी गई है। परियोजना भागीदारों के चयन की जांच कुशल और अनुभवी व्यक्तियों की समिति करेगी। समिति चयनित आवेदकों के अनुमोदन के लिए प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा सचिव से बनी गवर्निंग काउंसिल को सिफारिश करेगी।
परियोजना में पूरा निवेश भागीदार करेगा और भागीदारों को आवर्ती व्यय के लिए शिक्षा विभाग द्वारा प्रति छात्र प्रति वर्ष अधिक राशि दी जाएगी। पार्टनर को जमीन और सभी शिक्षा सुविधाओं में निवेश करना होगा। आवासीय विद्यालयों के परिसर में न्यूनतम दो हजार और अधिकतम 10 हजार छात्रों की क्षमता होगी। भविष्य में ऐसे परिसरों को शैक्षिक क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया है। इन स्कूलों में शैक्षणिक के साथ-साथ गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों को अनुबंध के आधार पर परियोजना भागीदार द्वारा भर्ती करना होगा।ऐसे स्कूल में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक की ही नियुक्ति करनी होगी। इस परियोजना के लिए संपूर्ण शिक्षा-गुजरात स्कूल शिक्षा परिषद कार्यान्वयन निकाय होगी। गवर्निंग काउंसिल में उच्च शिक्षा अधिकारियों के अलावा शिक्षाविद भी होंगे। इन स्कूलों का माध्यम गुजराती के साथ-साथ अंग्रेजी भी होगा। इन स्कूलों के छात्रों को संभावित कैरियर के लिए सही दिशा में निर्देशित किया जाएगा जैसा कि आदेश में कहा गया है।
साभार – हिस
![](https://indoasiantimes.com/wp-content/uploads/2021/05/IAT-400x330.jpg)