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श्रावण मास आज से शुरू, भगवान शिव का जलाभिषेक होता है फलदाई…!!!

  • पूजा करने से खुश होते हैं भगवान शिव

हर वर्ष श्रावण मास का इंतजार सभी शिवभक्तों को बेसब्री से रहता है, क्योंकि भगवान शिव को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ समय सावन महीने को ही माना गया है। इस वर्ष ये शुभ अवसर 25 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। श्रावण मास की आराधना से भगवान आशुतोष शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में व्रत दर्शन पूजन और शिव की आराधना से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। सनातन संस्कृति में भगवान शिव की विशेष महिमा मानी गई है। 33 कोटि देवी देवताओं में भगवान शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। श्रावण मास भगवान शिव जी को समर्पित है। शिवालय सर्वत्र प्रतिष्ठित हैं, जिनके दर्शन मात्र से अलौकिक शांति की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की अर्चना के लिए श्रावण मास अति विशिष्ट माना गया है। इस बार मनभावन सावन मास में चार सोमवार पड़ रहे है। सावन के सभी सोमवार भगवान शिव जी का विशेष पूजन अनुष्‍ठान और व्रत करने से आराधना विशेष रूप से फलित होती है।

मान्यता है कि शिव पूजा से भक्तों पर आने वाले अनिष्ट कष्ट एवं अकाल मृत्यु को भगवान शिव स्वयं अपनी विशेष कृपा से हर लेते हैं। श्रावण मास में शिवालय में कांवर से जलाभिषेक की मान्यता है। शिवभक्त अपनी परंपरा के अनुसार शिवजी का अभिषेक कर के विशेष पुण्य के भागी होते हैं। श्रद्धालु भक्तों को शिव कृपा प्राप्त करने के लिए प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायं काल प्रदोष काल में भगवान शिव की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बेल पत्र, मदार की माला, भांग, ऋतु फल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की महिमा में शिव मंत्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव साधना एवं शिव महिमा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय को विशेष रूप से फलदाई माना गया है।
‘ओम नमः शिवाय’ का अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रावण मास में शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए नित्य प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव विशिष्ट कामनाओं को पूर्ण पूर्ति करते हैं। शिव भक्तों को कामना के लिए गंगाजल से अभिषेक व अर्चन करना चाहिए। आरोग्य सुख एवं व्याधियों की निवृत्त के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। आर्थिक समृद्धि के लिए शिव स्तोत्र का पाठ साथ ही शिवजी का गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। कुंवारी कन्याओं को वर की प्राप्ति के लिए श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार का व्रत करना चाहिए और शिव जी का दूध से अभिषेक करना चाहिए।

साभार पी श्रीवास्तव

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