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आखिर दूसरे इन बूढ़ों का सहारा क्यों बनेंगे?

गंगारामपुर- श्रेष्ठ आखिर कौन? समाज किस तरफ जा रहा है? आखिर दूसरे इन बूढ़ों का सहारा क्यों बनेंगे? जी हां! समाज जिसमें दिन प्रतिदिन हर घर में एक समस्या हर रोज बढ़ती जा रही है, वह है बुजुर्गों को देखने की समस्या। उनके अकेलेपन की समस्या। अंतिम समय में उनके पास रहने की समस्या। उनके दवा-दारू की समस्या। उनके खाने-पीने की समस्या। यह समस्या भारतवर्ष के हर-हर राज्य में हर जिले में घर-घर में बढ़ती जा रही है। इसे लेकर दक्षिण दिनाजपुर जिले के स्वास्थ्य अधिकारी सुकुमार दे की पत्नी गोपा गंगोपाध्याय ने एक 25 मिनट की फिल्म बनाकर उसमें इस मार्मिक तथ्य को उजागर किया है।

गोपा गंगोपाध्याय 18 वर्ष पूर्व दिल्ली से आते वक्त जब राजधानी ट्रेन में सफर कर रही थी। तब आसपास के सहयात्री ओं के साथ बातचीत करते वक्त कुछ ऐसी सच्चाई और हकीकत मैंने सुनी जो मेरे दिल में चुब  गई। तभी मैंने सोचा कि मैं इसे लेकर कुछ ना कुछ जरूर करूंगी। और यह छोटी सी फिल्म उसी पीड़ा समाज घर और देश में बढ़ती बुजुर्गों के एकाकीपन की है। आखिर हम कहां जा रहे हैं अच्छा कौन है श्रेष्ठ कौन है वह जो हमेशा कक्षा में प्रथम आता है विदेशों में पढ़ने के लिए भेजते हैं और वह वहीं के होकर रह जाते हैं या फिर वह जो एकाकीपन के समय हमारे साथ होते हो वह जो हमें अंतिम समय में देखते हैं जो एकाकीपन का सहारा बनते हैं। इस पिक्चर में मैंने दिखाया है कि कैसे सारे बुरे हैं और एक लड़का अच्छा है।  आज बालूघाट के नाट्य तीर्थ में इस फिल्म का प्रदर्शन किया गया। सुकुमार दे ने बताया कि दक्षिण दिनाजपुर हेल्थ रिक्रेशियन क्लब के सौजन्य में किया गया है। इसके सदस्यों ने  इसमें अभिनय किया है, मन मुख्य चरित्र का नाम सुमन है, जो कक्षा नौ का छात्र है।

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