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प्राथमिकताओं के आधार पर गंभीर बीमारियों का इलाज करने का अनुरोध

  • सुरक्षा सेना अध्यक्ष अभिषेक जोशी ने लिखा नवीन पटनायक को पत्र

कटक. ओडिशा सुरक्षा सेना के अध्यक्ष अभिषेक जोशी ने आज राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को एक गंभीर और महत्वपूर्ण विषय पर पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि वर्तमान राज्य में कोरोना उपचार के नाम पर पूरी अराजकता और आक्रोश व्याप्त है. जो मरीज अन्य बीमारियों से गंभीर रूप से बीमार हैं, उनके इलाज में कोरोना के चलते डॉक्टर चयनात्मक उपचार नीति अपना रहे हैं.  इस कारण कइयों को अपने जीवन से भी भारी कीमत चुकानी पड़ी रही है. चाहे वह सरकारी अस्पताल हो या निजी अस्पताल, सभी अस्पतालों में स्थिति एक जैसी है.

जोशी ने उल्लेख किया है कि गंभीर रूप से बीमार रोगी, जो किडनी, दिल या फेफड़ों की समस्या से पीड़ित हैं,  इलाज के लिए अस्पताल जाता है, तो उपचार से पहले रोगी का कोरोना की जांच करायी जाती है, ताकि पाजिटिव होने की स्थिति का पता चल सके. रिपोर्ट आने में 2-3 दिनों का समय भी लगता है. यदि मरीज कोरोना पॉजिटिव निकला, तो उसका कोरोना का इलाज किया जाता है. ऐसी स्थिति में उसकी पहली गंभीर बीमारी का इलाज नहीं किया जाता है. ऐसी स्थिति में उसकी मूल बीमारी जकड़ती जाती है. उन्होंने कहा कि यह याद रखना चाहिए कि कोरोना एक फ्लू प्रकार की बीमारी है और ओडिशा में मृत्यु दर कम है, लेकिन डॉक्टर अन्य बीमारियों के बारे में भूलकर केवल कोरोना का इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं.

जोशी ने कहा कि कोरोना मामलों में रोगी तुरंत नहीं मरेंगे, लेकिन अगर गंभीर रोगियों (किडनी, लीवर, फेफड़े, हृदय की समस्या या अन्य सर्जरी) का उपचार समय पर नहीं मिला तो रोगी मर भी सकता है. ऐसी स्थिति में इस प्रकार के आपातकालीन उपचार को प्राथमिकता दिये जाने की जरूरत है, क्योंकि इसके उपचार के साथ कोरोना का उपचार जारी रखा जा सकता है. जोशी ने दावा किया है कि ओडिशा में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां गंभीर रूप से बीमार रोगियों की मौत हो गई है, क्योंकि उनकी बीमारी के संबंध में इलाज नहीं किया गया है. कोरोना टेस्ट के लिए मजबूर किया गया, जिसके कुछ ही समय में उनकी मृत्यु हो गई.

जोशी ने कहा कि अफसोस की बात तो यह है कि कोरोना महामारी के नाम पर कोई भी उन रोगियों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार नहीं है, जो आपातकालीन देखभाल उपचार के अभाव में जिंदगी गवां बैठे हैं. ओडिशा में इलाज की इस व्यवस्था ने इतनी दहशत और भय पैदा कर दी है कि कोरोना के अलावा गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अस्पताल जाने की इच्छा नहीं होती, क्योंकि वे अस्पताल में नकारात्मक परिस्थितियों में मरने से अच्छा घर का चयन करते हैं. इन परिस्थितियों का जिक्र करते हुए जोशी ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि आप डॉक्टरों को बीमारियों की गंभीरता के आधार पर इलाज करने के लिए निर्देश जारी करें.

 

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