Home / Odisha / लाकडाउन – कहीं सख्ती तो कहीं पुलिस गायब, लोगों पर भारी पड़ रही बंदी

लाकडाउन – कहीं सख्ती तो कहीं पुलिस गायब, लोगों पर भारी पड़ रही बंदी

  • सुबह में कल्पना चौक पर नहीं दिखे पुलिसकर्मी

  • कई प्रमुख चौक-चौराहों पर जमकर हुई चेकिंग

  • लाकडाउन और शटडाउन से पहले छूट वाले प्रतिष्ठानों तक पास और परिचयपत्र पहुंचाने की मांग

सुधाकर शाही, भुवनेश्वर

कोरोना के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण पाने के प्रयासों के तहत जारी लाकडाउन अब लोगों पर भारी पड़ने लगा है. लाकडाउन में आज सुबह कहीं पर जमकर चेकिंग देखी गयी, तो वहीं प्रमुख चौक कल्पना में पुलिसकर्मी नदारत रहे. लोगों के बीच यह चर्चा सुनने को मिला कि लगता है कि पुलिसकर्मी भी थक चुके हैं. हालांकि इससे पूर्व कटक-पुरी रोड पर झारपड़ा और इसके बाद रवि टाकिज चौक, सामंतरापुर में चौकों पर पुलिसकर्मी आने-जाने वालों की सघन जांच-पड़ताल कर रहे थे. इस दौरान आने-जाने वाले लोगों से कारण पूछकर जरूरत के हिसाब से छोड़ा जा रहा था. इस दौरान कुछ व्यवसायों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि प्रशासन बार-बार लाकडाउन कर रहा है, लेकिन पास की स्थायी व्यवस्था नहीं कर रहा है. इससे आने-जाने में उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छोटे-छोटे व्यवसायियों को थोक विक्रेताओं के पास से सामान लाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हर चौराहे पर इनको रोककर पूछताछ की जाती है. परिचय पत्र मांगा जाता है. इन व्यवयासियों ने नाम गुप्त रखने की शर्त बताया कि हम छोटे व्यवसायी हैं. परिचय पत्र की हमें कभी जरूरत नहीं पड़ी. खुदके लिए क्या परिचयपत्र बनवाना है. किसी तरह से पेट पालते हैं, परिवार के खर्च का अर्जन करें या फालतू की व्यवस्थाओं पर पैसा लुटाएं. इन व्यासायियों ने मांग की कि लाकडाउन से पहले प्रशासन छूट वाले प्रतिष्ठानों तक पास और परिचयपत्र पहुंचाए.

एक तरफ प्रशासन का कहना है कि बेवजह का घरों से नहीं निकलें, दूसरी तरफ पास-परिचयपत्र के चक्कर में दौड़ने के लिए मजबूर करते हैं. प्रशासन को लाकडाउन या शटडाउन लागू करने के पहले जमीनी व्यवस्थाओं को जानने की जरूरत है.

व्यवसायियों ने गुस्से में कहा कि सिर्फ केबिन में बैठककर फैसले लेने काम नहीं हो जाता है. हर व्यक्ति की व्यवस्थाओं को देखने की जरूरत है. व्यवसायियों ने कहा कि छोटी-छोटी दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों को कहां और कब परिचय पत्र दिया जाता था. पुलिसकर्मी अब इनसे पास या परिचयपत्र मांग रहे हैं. ऐसी स्थिति में प्रशासन को जमीनी हालत के हिसाब से निर्यण लेने की जरूरत है.

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