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गंजाम में हाईप्रोफाइल फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार

  • दिल्ली और भुवनेश्वर एम्स चिकित्सक बताकर रोगियों का कर रहा था इलाज

  •  पुलिस ने अभियान चलाकर रंगेहाथों पकड़ा

ब्रह्मपुर। गंजाम जिले के दिग्गपहंडा थाना अंतर्गत के डेंगावस्टा स्थित एक क्लिनिक से एक फर्जी डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है। वह खुद को नई दिल्ली और भुवनेश्वर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का डॉक्टर बताकर मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा था। इसकी सूचना पर दिग्गपहंडी थाने के आईआईसी दिप्ती रंजन बेहरा ने खुद एक रोगी के रूप में इलाज कराने पहुंचे। वहां पर डाक्टर को अन्य रोगियों का इलाज करते हुए पाया तो आरोपी धर-दबोचा। गिरफ्तार फर्जी डॉक्टर की पहचान ढेंकनाल जिले के सांडा गांव निवासी सुभ्रजीत पंडा के रूप में हुई है। हालही में इसकी शादी हुई है।

ब्रह्मपुर के पुलिस अधीक्षक सरवण विवेक एम ने कहा कि वह पिछले छह महीने से डेंगावस्टा में मरीजों का इलाज कर रहा था और महीने में एक बार अपने क्लिनिक में आता था। इसके अलावा वह पिछले एक साल से कटक में प्रैक्टिस कर रहा है। एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए दिग्गपहंडी पुलिस ने एक स्टिंग ऑपरेशन शुरू किया गया और उसे रंगेहाथों पकड़ लिया गया। उसे आईपीसी, उड़ीसा मेडिकल पंजीकरण अधिनियम और क्लिनिकल पंजीकरण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है।

फर्जी प्रमाणपत्र का प्रयोग

बताया जाता है कि वह फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए प्रैक्टिस कर रहा था। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जर्मनी से विशेषज्ञता प्रमाणपत्र और फेलोशिप प्रमाणपत्र सहित उनके सभी प्रमाणपत्र नकली हैं। खबर है कि वह 12वीं पास है। इधर, आरोपी ने दावा किया कि वह माइक्रोबायोलॉजी में पोस्ट-ग्रेजुएट है और उसे दवाओं का अच्छा ज्ञान है। उसने कहा कि मामला विचाराधीन है इसलिए मैं कुछ नहीं कहना चाहता।

कटक में भी है क्लिनिक

जांच के दौरान पता चला है कि कटक के रानीहाट इलाके में एक क्लिनिक भी चला रहा था और मरीजों का इलाज कर रहा था। सूत्रों ने बताया कि वह मरीजों का इलाज करने और दवाएं लिखने के लिए दवा प्रतिनिधि की मदद लेता था। इस बीच, कमिश्नरेट पुलिस ने कटक में फर्जी डॉक्टर के किराए के घर पर तलाशी अभियान शुरू किया है। आरोपी पिछले 6 महीने से महीने में दो बार डेंगावस्ता में, पिछले 6 महीने से महीने में दो बार आस्का जा रहा था। पिछले डेढ़ साल से कटक में क्लिनिक चला रहा था।

किडनी की बीमारी से हुआ खुलासा

बताया जाता है कि यह मामला तब सामने आया, जब एक महिला इस फर्जी डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं खाने के बाद किडनी की बीमारी से ग्रस्त हो गई और उसे भुवनेश्वर में डायलिसिस कराना पड़ा। पीड़ित परिवार के आरोपों पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने जांच शुरू की और डॉक्टर को फर्जी पाया।

2020 में हैदराबाद में हुआ गिरफ्तार

पुलिस ने बताया कि साल 2020 में उसे खुदको विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सदस्य बताकर डॉक्टरों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह 2020 से जमानत पर है और मामला अभी भी विचाराधीन है।

Posted by: Desk, Indo Asian Times

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