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दुर्गास्वरुपा भी है मां – श्रीकांत शर्मा

  •  कहा- मां की सेवा, मां की आज्ञा का पालन सभी के लिए जरूरी

भुवनेश्वर। स्थानीय राममंदिर यूनिट-3 में चल रहे देवी भागवत कथा ज्ञान का दूसरा दिवस बड़ा ही आनंद दायक रहा। व्यासपीठ से कथा व्यास श्रीकांत शर्मा ने बताया की देवी भागवत के आधार पर आत्मसंकल्प प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत आवश्यक है। आज जीवन के बदलते हुए संबंधों में संकल्प शक्ति का होना बहुत जरूरी है। यह व्यक्ति हित, समाज हित तथा राष्ट्र हित के लिए आवश्यक है। इस संबंध में उन्होंने राजा जनक का उदाहरण प्रस्तुत किया। सुखदेव जी की कथा सुनाई तथा सभी से आग्रह किया कि जीवन में आज हमें अपने लक्ष्य के लिए संकल्पित भाव से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

आत्मविश्वासी बनने की आवश्यकता है। राजाजनक की तरह ही सत्यनिष्ठ बनने की आवश्यकता है। भगवती मद्भागवत के विषय में उन्होंने मां दुर्गा के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए उन्हें सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी बताया, जिनकी आराधना ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा सभी देवगण करते हैं। इस क्रम में उन्होंने घर में मां के महत्त्व को स्पष्ट किया और बताया की मां की सेवा, मां की आज्ञा का पालन सभी के लिए जरूरी है। मां दुर्गास्वरुपा भी है। उन्होंने अपने सारगर्भित व्याख्यान में जीवन में मौन साधना के रूप में अपनाने की बात कही। कथा के अंत में सभी ने दुर्गा मां की आरती उतारी और प्रसाद ग्रहण किया।

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