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देश में कोई भी बच्चा या व्यक्ति कुपोषित नहीं रहेगा

  • कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दूसरे भारतीय राइस कांग्रेस में की घोषणा

कटक। कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दूसरे भारतीय राइस कांग्रेस में कृषि और किसानों के लिए केंद्रीय योजनाओं पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है, इसलिए सरकार की कोशिश रहती है कि प्रधानता को प्राथमिकता दी जाएं। किसानों ने परिश्रम व वैज्ञानिकों ने अनुसंधान करके कृषि क्षेत्र में बहुत प्रगति की है। खाद्यान्न की दृष्टि से हम सिर्फ आत्मनिर्भर ही नहीं, दुनिया को भी मदद करने वाले देशों में से एक है, जो हमारे लिए गौरव का विषय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बल है कि देश में कोई भी बच्चा या व्यक्ति कुपोषित नहीं रहे। कुपोषण की समस्या हल करने के लिए पौष्टिकता बढ़ाने हेतु बायोफोर्डिफाइड चावल की किस्में पैदा करना चाहिए, संस्थान ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए सीआर 310, 311 व 315 नामक किस्में विकसित की हैं। इस संस्थान ने चावल की 160 किस्में ईजाद की है। तोमर ने कहा कि बायोफोर्डिफाइड चावल पीडीएस में दिए जाएं, इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करते हुए बजट में इसके लिए प्रावधान कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2010 में देश में चावल उत्पादन 89 मिलियन टन ही था, जो 2022 में 46 प्रतिशत बढ़कर 130 मिलियन टन हो गया है, जिसमें किसानों एवं वैज्ञानिकों का योगदान है। भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और निर्यात में हम पहले नंबर पर है।

तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के सान्निध्य बीते साढ़े 8 वर्षों में कोशिश की है कि किसानों को नुकसान की भरपाई हो सकें, इसलिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसा सुरक्षा कवच दिया, वहीं पीएम किसान सम्मान निधि के तहत साढ़े 11 करोड़ किसानों को 2.24 लाख करोड़ रु. खातों में जमा कराकर आय बढ़ाने का प्रयत्न किया गया है। कृषि में लागत कम करने, उत्पादन बढ़ाने व पानी की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग अत्यंत आवश्यक है, कृषि क्षेत्र में टेक्नालाजी आएं व निजी निवेश हों, इसके लिए भी बजट प्रावधान किया हैं। भारत सरकार, राज्यों के साथ मिलकर डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन पर काम कर रही है, जिसके लिए बजट में 450 करोड़ रुपये रखे गए है। देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान है, जो साहूकारी कर्ज में नहीं दबें, इसलिए अल्पकालिक ऋण के रूप में जहां 2014 तक 6-7 लाख करोड़ रुपये हुआ करता था, अब प्रधानमंत्री ने इसे बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया है, इससे भी निश्चित ही किसानों की ताकत बढ़ी है। भारत सरकार की यह कोशिश है कि किसानी के क्षेत्र में निजी निवेश आएं, जिसके लिए 1 लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड सहित कृषि एवं सम्बद्ध कार्यों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रु. से ज्यादा के प्रावधान किए गए हैं। इनके कारण निजी निवेश के दरवाजे खुले है और गांवों तक आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर पहुंचाने का प्रयत्न किया जा रहा है। एग्री इंफ्रा फंड में अभी तक स्वीकृत परियोजनाओं में 16 हजार करोड़ रु. का ऋण मंजूर किया गया है, जिसका लाभ हमारे देश की कृषि को मिलने वाला है। हमारी कोशिश है कि यह एक लाख करोड़ रु. जल्द से जल्द जमीन पर पहुंचे, इसमें निजी निवेश भी मिलकर कृषि को उन्नत व लाभकारी रूप में तब्दील करने में हम लोग आगे बढ़े। उन्होंने उम्मीद जताई कि इ सी कांग्रेस में चावल की खेती को लेकर एक अच्छी सड़क तैयार की जाएगी।

राज्यपाल ने धार्मिक महत्ता पर डाला प्रकाश

राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि चावल हमारे देश के लोगों का मुख्य भोजन है और यह हमारी संस्कृति और परंपरा में गहराई से रंगा हुआ है। साधारण से कृष्ण-सुदामा की कहानी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चावल खाने की सुरक्षा के मुद्दों का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने कई लोगों के मुख्य भोजन के रूप में चावल के महत्व को रेखांकन किया। ओडिशा के कृषि, मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वाईं ने कहा कि ओडिशा न केवल चावल उत्पादन में आत्मनिर्भरता है, बल्कि 6 अन्य राज्यों को चावल का प्रतिरूप है। ओडिशा जैसे पूर्वी क्षेत्रों में चावल उत्पादन बढ़ाने के काफी विचार हैं। उद्घाटन समारोह में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही डेयर के सचिव भी शुरुआत करते हैं। हिमांशु पाठक, एसोसिएशन ऑफ राइस सर्च वर्कर्स के अध्यक्ष डॉ पीके अग्रवाल, संस्थान के निदेशक डॉ एके. नायक, सूचना सचिव डा एस साहा मौजूद थे। चार दिन से कांग्रेस में किसान, देश-विदेश के वैज्ञानिक, केंद्र व राज्य के कृषि और अन्य समूहों के अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

भारतीय राइस कांग्रेस की बैठक हर दो साल में होती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, वैश्विक खाद्य संकट, जलवायु परिवर्तन, ठंडे मौसम में अनाज उत्पादन में वृद्धि और आधुनिक तरीकों से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इस कार्यक्रम में भारत और विदेशों के विभिन्न कृषि और अनाज अनुसंधान संस्थानों के 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक ने स्वागत भाषण दिया और कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य पर जोर दिया। उद्घाटन समारोह में निदेशक, एनआरआरआई, डॉ एके नायक और अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ राइस रिसर्च वर्कर्स (एआरआरडब्ल्यू), कटक पीके अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित थे।

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