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ओडिशा के समुद्री क्षेत्रों में निजी निवेश का अवसर होगा सृजित

  •  कटक, जाजपुर और केंदुझर में सिंचाई के लिए उपलब्ध होगा पानी

भुवनेश्वर। ओडिशा बंदरगाह नीति-2022 के लागू होने से राज्य के समुद्री क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के निवेश का अवसर सृजित होगा। इसके साथ कटक, जाजपुर और केंदुझर में सिंचाई व्यवस्थाओं को बल मिलेगा। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल ने कल ओडिशा के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र विकास के लिए ओडिशा बंदरगाह नीति-2022 को मंजूरी दे दी।
नीति का उद्देश्य ओडिशा के गैर-प्रमुख बंदरगाहों और अंतर्देशीय जलमार्गों के एकीकृत विकास के लिए व्यापक दिशानिर्देश प्रदान करना है। यह राज्य के समुद्री क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश की सुविधा प्रदान करेगा। वर्तमान में, राज्य में 14 अधिसूचित गैर-प्रमुख बंदरगाह हैं। धामरा और गोपालपुर में बंदरगाहों को चालू कर दिया गया है, जबकि आस्टरंग और सुवर्णरेखा मुहाने पर अभी निर्माणाधीन हैं। एक अधिकारी ने कहा कि यह नीति बंदरगाहों को जोड़ने वाले बुनियादी ढांचे में सुधार के जरिए बंदरगाहों के विकास और बंदरगाहों के नेतृत्व वाले औद्योगिक विकास को सहायता और बढ़ावा देना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह नीति तटीय शिपिंग, समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देने, बहुउद्देश्यीय बंदरगाह और जहाज निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित अन्य समुद्री उपक्रमों को भी बढ़ावा देगी।
कैबिनेट ने कटक जिले के नरसिंहपुर, बारंबा और टिगिरिया ब्लॉक के एकीकृत विकास के लिए हडुआ मध्यम सिंचाई परियोजना के टेंडर को भी मंजूरी दी। इस परियोजना में कटक जिले के खरोद गांव के पास हदुआ नदी पर एक जलाशय की परिकल्पना की गई है, जिसमें 387 मीटर लंबा और 43.825 मीटर ऊंचा कंक्रीट बांध बनाया जाएगा।
यह परियोजना 221 करोड़ रुपये की लागत से लागू की जाएगी। इससे कटक जिले के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि भूमि की सिंचाई करने की व्यवस्था उपलब्ध होगी। एक अधिकारी ने कहा कि यह कम से कम 3 लाख लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध करा सकता है।
इसके अलावा राज्य मंत्रिमंडल ने ओडिशा में रेंगाली सिंचाई परियोजना के बाएं किनारे की नहर के निर्माण के लिए निविदा को मंजूरी दी। यह परियोजना 297 करोड़ रुपये की लागत से लागू की जाएगी। इस परियोजना में जाजपुर और केंदुझर जिले में कोरी शाखा नहर और बारपड़ा शाखा नहर के माध्यम से जाजपुर और केंदुझर जिले में 19,835 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने की क्षमता है।

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