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राष्ट्रीय राजनीति में नवीन ने पवार को पीछे छोड़ा

  •  अंतिम क्षणों में सटिक निर्णय से बदलते हैं गुणा-गणित

  •  कई मौकों पर समझने में विफल रहा है समूचा विपक्ष

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा बीजू जनता दल के मुखिया नवीन पटनायक राष्ट्रीय राजनीति का एक ऐसा चेहरा बन गये हैं, जिसे समझना काफी मुश्किल हो गया है. उनके निर्णय अक्सर चौंकाने वाले होते हैं. अब तक चौंकाने में महारथ रखने वाले एनसीपी के वरिष्ठ नेता शरद पवार को भी एक तरह से नवीन पटनायक पीछे छोड़ते हुए नजर आ रहे हैं. अब तक कहा जाता रहा है कि राजनीति में शरद पवार को समझना काफी मुश्किल भरा काम होता है, लेकिन अब नवीन पटनायक ऐसे राजनीतिज्ञ के रूप में उभर कर सामने जा रहे हैं, जिनको समझने में विपक्ष नकाम रहा है.
राष्ट्रहित को सदैव समर्थन
ऐसे कई मौके रहे हैं, जहां नवीन पटनायक ने अंतिम क्षण में निर्णय लेकर पूरा का पूरा गुणा-गणित ही बदल दिया है. जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने की बात हो या सीएए का मुद्दा, जहां पूरा विपक्ष एनडीए के विरोध में रहा, वहीं नवीन पटनायक ने इन मुद्दों पर अपना समर्थन दे दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने कृषि कानून में भी काफी हद तक अपना समर्थन दिया था.
विपक्षी बैठक को दरकिनार किया
आगामी राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के पक्ष में कम आंकड़ों को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने विपक्ष को लामबंद करके एनडीए को मात देने की कोशिश में जुट गयीं. उन्होंने सभी विपक्षी दलों को साथ लाने की कोशिश की, ताकि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की विजय रथ को रोका जा सके, लेकिन इस बैठक में जिन चार पार्टियों ने हिस्सा नहीं लिया था, उसमें सबसे बीजू जनता दल भी शामिल थी. ऐसा कई बार हुआ है, जब पूरा विपक्ष एकजुट होने का प्रयास करता है, उस समय नवीन पटनायक एक अलग ही रास्ते पर होते हैं.
राज्य हित को देते हैं महत्व
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक राष्ट्रहित के बाद राज्यहित को सर्वोपरि महत्व देते हैं. शायद यही कारण है कि आज वह विदेशों में निवेशकों को आकर्षित करने के प्रयास में जुटे हैं. इतना ही नहीं, विदेश प्रवास से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और गुप्त रूप से राष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन पर अपनी मुहर लगा दी थी. यानि द्रोपदी मुर्मू का नाम उसी बैठक में नरेंद्र मोदी और नवीन पटनायक ने तय कर दिया था, लेकिन विपक्ष को इस बात की भनक तक नहीं लगी और साझा उम्मीदवार खोजने में लगे.
बेवजह की राजनीति पर फोकस नहीं
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को आज तक बेवजह की बयानबाजी या हल्की बातें करते हुए कभी भी नहीं देखा गया है. बड़े-बड़े आरोपों को शालीनता से जवाब देकर हल्के साबित कर देते हैं. ऐसे कई मौके राज्य में भी देखने को मिले हैं, जब विपक्ष उनको घेरने की कोशिश करता, तब वह अपने निर्णयों से बेदम साबित कर देते हैं. उनका कभी बेवजह की राजनीति पर फोकस देते हुए नहीं देखा गया है.

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