Home / Odisha / अब बेटियों की तरह बेटों को भी दी संस्कार और घर-गृहस्थी की शिक्षा

अब बेटियों की तरह बेटों को भी दी संस्कार और घर-गृहस्थी की शिक्षा

  •  अभामामस, ओडिश़ा प्रदेश के पंचदश अधिवेशन ‘ज्योतिर्मयी’ आयोजित

  •  टूटते परिवार को लेकर अधिवेशन में जतायी गयी चिंता

  •  मृत्यु भोज बंद करने समेत दो प्रस्ताव पारित

भुवनेश्वर. राजधानी स्थित एक होटल में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन (अभामामस) ओडिश़ा प्रदेश का पंचदश अधिवेशन ‘ज्योतिर्मयी’ आयोजित हुआ, जिसमें ओडिशा के राज्यपाल, ओडिश़ा प्रेफेसर गणेशी लाल ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. लोकसभा सांसद अपराजिता षाड़ंगी, अभामामस की राष्ट्रीय अध्यक्ष शारदा लखोटिया एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पा खेतान की उपस्थिति ने अधिवेशन की गरिमा में चार चांद लगा दिए. सभी उपरोक्त कार्यक्रम ओडिश़ा प्रांत की अध्यक्ष ललिता अग्रवाल एवं आयोजक भुवनेश्वर शाखा के नेतृत्व में संपन्न हुआ. इस अधिवेशन में ओडिश़ा प्रांत की पूर्व प्रांतीय अध्यक्षा, राष्ट्रीय प्रकल्प प्रमुख, प्रांतीय अंचल व प्रकल्प प्रमुख, सभी शाखा अध्यक्षा, सचिव एवं ओडिश़ा प्रदेश की कोर कमेटी, आयोजक भुवनेश्वर शाखा की पूरी टीम एवं भुवनेश्वर मारवाड़ी समाज के गणमान्य अतिथिगण उपस्थित थे. इस कार्यक्रम में 71 शाखाओं से लगभग 200 बहनों की सहभागिता रही. अधिवेशन ‘ज्योतिर्मयी’ में दो प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. पहला मृत्यु के पश्चात समाज का मृत्यु भोज बंद किये जाने और उसे केवल अपने परिवार तक ही सीमित रखे जाने को लेकर था. दूसरा प्रस्ताव मृत्यु के पश्चात सगे संबंधियों को बारहवीं में दिया जाने वाला पद बंद किये जाने को लेकर था. इस दौरान समाज सुधार की दिशा में विचार मंथन किया गया साथ ही टूटते परिवार की घटनाओं में बढ़ोतरी को लेकर चिंता जतायी गयी. कहा गया कि समाज में ल़ड़के-लड़कियों के विवाह में बहुत अड़चने आ रही हैं, क्योंकि आजकल दोनों पक्ष समझौता करना नहीं चाहते. साथ ही हमारे इस पितृ सत्ता समाज में हम केवल ल़डकियों को संस्कार, घर गृहस्थी की शिक्षा देते हैं, वही आवश्यकता है कि ल़डकों को भी यह शिक्षा दी जाए क्योंकि यह जीवन गोलाकार है और इस गोले में आधा हिस्सा पत्नी है, तो आधा हिस्सा पति. दोनों मिलकर जीवन रूपी वृत्त को पूरा करते हैं. अतः हमें इस दिशा में पुरजोर कदम ब़ढाने की आवश्यकता है. बताया गया कि यह सम्मेलन बाल विकास, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, नेत्र, रक्त, अंग व देहदान जैसे विषयों पर कार्य करता है. अधिवेशन में सभी शाखाओं का उनके दो वर्ष के कार्यों का फल पुरस्कार स्वरूप दिया गया. अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं लजिज व्यंजनों के साथ अधिवेशन ‘ज्योतिर्मयी’ का सुखद एवं उल्लासपूर्वक समापन हुआ.

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