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पर्याप्त संसाधनों के बिना मुफ्त उपहार का वादा करने से बचें राजनीतिक दल : नायडू

नई दिल्ली। पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि राजनीतिक दलों को पर्याप्त संसाधनों के बिना मुफ्त उपहार का वादा करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब पार्टियां बड़े-बड़े वादे करती हैं तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उन्हें संसाधन कहां से मिलेंगे। नायडू ने कहा कि लोगों को उन पार्टियों से भी सवाल करना चाहिए जिनके पास संसाधनों के बारे में कुछ नहीं है, लेकिन सत्ता हासिल करने के लिए उन्होंने खोखले वादे किए।

पूर्व उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को नई दिल्ली के त्यागराज मार्ग स्थित अपने आवास पर मीट-एंड-ग्रीट गेट-टुगेदर में ये टिप्पणियां कीं। बातचीत के आयोजकों को धन्यवाद देते हुए नायडू ने कहा कि पद्म विभूषण सम्मानित होने पर वह विनम्र और संतुष्ट महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के प्रति मेरे विनम्र योगदान की यह मान्यता नए जोश के साथ समाज की सेवा करने के मेरे संकल्प को मजबूत करती है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में नायडू को पद्म विभूषण से अलंकृत किया था।
नायडू ने राजनेताओं में एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने की प्रवृत्ति की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह इतना व्यापक हो गया है कि कभी-कभी एक राजनीतिक दल से दूसरे राजनीतिक दल में जाने के कारण यह निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है कि अमुक राजनेता किस दल से संबंधित है। राजनीति में इस तरह की पार्टीबाजी एक अस्वस्थ प्रवृत्ति का संकेत है। अपना स्वयं का उदाहरण देते हुए नायडू ने कहा कि वह अपने पूरे करियर में अपनी पार्टी के प्रति वफादार रहे और कभी भी किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने बताया कि यह स्थिति तब भी थी जब उनकी पार्टी बेहद कमजोर स्थिति में थी। नायडू ने कहा कि इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए दल-बदल विरोधी कानून को मजबूत करने की जरूरत है।

पूर्व उपराष्ट्रपति ने देश के युवाओं से आगे आने और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की। उन्हें विकास और स्वस्थ समाज की आधारशिला बताते हुए नायडू ने भारत के युवा पुरुषों और महिलाओं से अपने तरीके से और अपने स्तर पर समाज की सेवा करने में रुचि लेने की अपील की। उन्होंने बताया कि समाज की सेवा ही राष्ट्रवाद और देशभक्ति का सार है और इसका मतलब राजनीति में जाना नहीं है।
साभार – हिस

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