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चंदनयात्रा के छठे दिन भी श्रीमंदिर में विधि-विधान के तहत हुई महाप्रभु की चंदनयात्रा   

  • देवस्नान पूर्णिमा 05 जून तथा रथयात्रा 23 जून को

  • रथयात्रा को लेकर सभी को  महाप्रभु जगन्नाथ की ओर से किसी प्रकार के करिश्मा करने का इंतजार

  • चंदनयात्रा 21 दिनों तक श्रीमंदिर के जलक्रीड़ा मण्डप में चलेगी जिसे भगवान जगन्नाथ स्वयं तथा उनके सेवायतगण ही देख पा रहे हैं.

अशोक पाण्डेय, पुरी

. कोरोना वैश्विक महामारी के दुष्प्रभाव के चलते लगभग एक हजार वर्षों की अनुष्ठित होनेवाली श्रीजगन्नाथ भगवान की चंदनयात्रा की सुदीर्घ एवं गौरवशाली परम्परा चंदन तालाब में न होकर श्रीमंदिर के अन्दर अवस्थित जलक्रीड़ा मण्डप में अनुष्ठित हुई है जो 21 दिनों तक चलेगी. चंदनयात्रा के छठे दिन भी पहली मई को श्रीमंदिर विधि-विधान के तहत चंदनयात्रा अनुष्ठित हुई. गौरतलब है कि श्रीजगन्नाथ पुरी धाम के गोवर्द्धन पीठ के 145वें पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य परमपाद स्वामी निश्चलानन्दजी सरस्वती महाराज के दिव्य व आध्यात्मिक निर्देशानुसार तथा भगवान जगन्नाथ के प्रथम सेवक पुरी धाम के गजपति महाराजा श्री दिव्य सिंहदेवजी महाराजा की आध्यात्मिक स्वीकृति से आयोजकों ने यह ऐतिहासिक निर्णय लिया कि अक्षय तृतीया 2020 के पावन दिवस पर भगवान जगन्नाथ की चंदनयात्रा और उनके विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा हेतु उनके नये रथों के निर्माण का कार्य 26अप्रैल से श्रीमंदिर प्रांगण में ही आरंभ हुआ.

ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ एक सामान्य मानव की तरह ही सुख-दुःख का अनुभव करते हैं. यहां तक कि वे वैशाख-जेठ की भीषण गर्मी से परेशान होकर जलक्रीड़ा करना चाहते हैं, नौका विहार करना चाहते है. चंदनयात्रा उनकी उसी मानवीय लीला का एक स्वरुप है. प्रतिवर्ष वैशाख की अक्षय तृतीया के दिन जहां उनकी विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए नये रथों के निर्माण का कार्य आरंभ होता है, वहीं जगन्नाथ जी की विजय प्रतिमा मदनमोहन आदि की चंदनयात्रा भी शुरु होती है. 2020 चंदनयात्रा 21 दिनों तक श्रीमंदिर के जलक्रीड़ा मण्डप में चलेगी जिसे भगवान जगन्नाथ स्वयं तथा उनके सेवायतगण ही देख पा रहे हैं.

पहली मई, 2020 के दिन श्रीमंदिर के समस्त रीति-नीति के तहत ‘जात भोग’ संपन्न होने के उपरांत भगवान जगन्नाथ की विजय प्रतिमा मदनमोहन, रामकृष्ण, लक्ष्मी, सरस्वती आदि को नौका विहार के लिए जलक्रीड़ा मण्डप लाया गया जहां पर पहले से ही गजदंत आकार की नौका एक साथ जोड़कर तथा हंस के आकार का स्वरुप प्रदान कर सुसज्जित करके रखी गई थी. जलक्रीड़ा मण्डप को पूरी तरह से बिजली की रोशनी से आलोकित कर दिया गया था. उसी जलक्रीड़ा मण्डप में देव प्रतिमाओं को दिन की अपराह्न बेला में एक बार तथा रात में 21 बार नौका विहार कराया गया. उनके दिव्य शरीर पर चंदन का लेप लगाकर स्नान कराया गया.

श्रीमंदिर प्रशासन पुरी धाम के जनसंपर्क अधिकारी श्री लक्ष्मीधर पूजा पण्डा के अनुसार 16 मई तक यह चंदनयात्रा श्रीमंदिर के जलक्रीड़ा मण्डप में अनुष्ठित होगी. उनके अनुसार 2020 की चंदनयात्रा पूरी एहतियात के साथ प्रतिदिन अनुष्ठित हो रही है. गौरतलब है कि 2020 की देवस्नान पूर्णिमा 05 जून तथा रथयात्रा 23 जून को है. ऐसे में भक्तों की आस्था और विश्वास के साक्षात प्रतीक कलियुग के पूर्ण दारुब्रह्म भगवान जगन्नाथ की ईश्वरीय लीलाओं का इंतजार पूरे विश्व के लगभग 15 लाख जगन्नाथ भक्तों को है जो  वैश्विक महामारी कोरोना के चलते अपने-अपने घरों में एकांतवास कर रहे हैं और श्रीजगन्नाथ महात्म्य कथा, उनकी पौराणिक तथा आध्यात्मिक कथाओं को आध्यात्मिक टेलीविजन चैनलों पर देखकर संतोष कर रहे हैं लेकिन उन सभी को  महाप्रभु जगन्नाथ की ओर से किसी प्रकार के करिश्मा करने का इंतजार है जिससे कि वे प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष 2020 में भी भगवान जगन्नाथ की देवस्नान पूर्णिमा, रथयात्रा, बाहुड़ा यात्रा, सोनावेश तथा नीलाद्रि विजय का प्रत्यक्ष अवलोकनकर अपने मानव जीवन को सार्थक बना सकें.

 

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