Home / National / भारत में स्व का मतलब है सभी समाज को जोड़ना, संघ के बढ़ने का कारण त्याग और तपस्याः डा. मनमोहन वैद्य

भारत में स्व का मतलब है सभी समाज को जोड़ना, संघ के बढ़ने का कारण त्याग और तपस्याः डा. मनमोहन वैद्य

रायपुर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. मनमोहन वैद्य ने कहा है कि संघ की बैठक में भारत को जोड़ने पर चर्चा हुई है। भारत में स्व का मतलब है सभी समाज को जोड़ना। देश में विविधता के बाद भी एकता है। एक नये भारत का अनुभव हुआ। नए भारतीय मानक बनने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जोड़ने का काम कोई भी करेगा, अच्छी बात है लेकिन प्रेम से जोड़ेंगे या नफरत से?

यहां श्री जैनम मानस भवन में चल रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक- 2022 के समापन अवसर पर डा. वैद्य ने प्रेसवार्ता के दौरान उपरोक्त बातें कहीं। उनके साथ अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ,सह प्रचार प्रमुख नरेंद्रकुमार ,आलोक कुमार और छत्तीसगढ़ प्रचार प्रमुख कनिराम उपस्थित रहे।
डॉ. वैद्य ने कहा कि संघ के खिलाफ आप (राहुल गांधी) पहले ही नफरत पाल कर रखे हैं। उनके बाप-दादा ने संघ का बहुत तिरस्कार किया। इसके बाद भी संघ रुका नहीं। लगातार बढ़ता रहा है। वे जो बोल रहे हैं, उससे भी उनकी नफरत ही सामने आती है। संघ का गणवेश बदला यह भी उन्हें ध्यान नहीं है। संघ के बढ़ने का कारण त्याग और तपस्या है।
जनसंख्या कानून के संबंध में सह सरकार्यवाह ने कहा कि इस संबंध में संघ ने पहले ही नीति तय कर ली है। भारत को कृषि प्रधान देश कहना सही नहीं है। भारत का विश्व व्यापार में 1700 वर्षों तक उच्चतम हिस्सा रहा है। यहाँ चमड़े की चीज अच्छी बनती थीं। मेटलर्जी अच्छी थी। कपड़ा अच्छा बनता था। सोना -चांदी सब अच्छी चीजें बनती थीं। भारत पहले उद्योग प्रधान देश था। इसलिए धीरे धीरे उस दिशा में हमें फिर आगे बढ़ना है ।
तीन दिवसीय समन्वय बैठक के संबंध में जानकारी देते हुए डॉ वैद्य ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में सभी जाति -वर्ग की सहभागिता रही है लेकिन केवल कुछ ही नाम की चर्चा होती है। भारत की अनेक भाषा, अनेक जाति, अनेक उपासना का लोग पालन करते हैं। इन सभी को जोड़ने वाला भारत का स्व है, यह सब कैसे प्रकट हो, इसकी भी चर्चा हुई। भारत का स्व यहां की आध्यात्मिकता है। ईश्वर एक है, उसे बुलाने के नाम अनेक हो सकते हैं। 11 सितंबर, 1893 को शिकागो स्पीच में इसी बात का उल्लेख किया गया था ?
उन्होंने कहा कि भारत का राष्ट्र पश्चिम से अलग है। भगवान राम ने उत्तर से दक्षिण को बांधकर रखा है, कृष्ण ने पूर्व पश्चिम भारत को बांधकर रखा, शिव सर्वत्र हैं। पूर्वी भारत में स्व को नकारा गया, अनदेखी की गई। भारत का स्व जितनी मात्रा में प्रकट होना था नहीं हुआ, उस पर कैसे बढ़ सकते हैं, उस पर भी चर्चा हुई है?
उन्होंने कहा कि ब्रांडेड चीज अच्छी है या चलन बढ़ा है। स्थानीय को बढ़ावा देने पर जोर देंगे। जीडीपी के बदले नए भारतीय मानक इंडेक्स की बात उठी। कृषि शिक्षा में परिवर्तन आवश्यक है। एग्रीकल्चर ग्रेजुएट खेती नहीं करते ,नौकरी करते हैं। जो खेती करते हैं, उन्हें शिक्षा देने पर बात की गई। हिंदुत्व की पढ़ाई पर बात हुई है। न्यायालयों में भारतीय भाषाओं पर बात हो, जिससे लोगों को समझ में आए, यह भी चर्चा की गई है। जनजाति का माइग्रेशन रोकने के विषय पर भी चर्चा की गई।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि कोरोना के बाद अब गतिविधियों में तेजी आई है, शाखा में वृद्धि हुई है। वेबसाइट ज्वाइन करने संघ के माध्यम से लोग खासकर युवा वर्ग अनुरोध भेजते हैं। सवा लाख लोगों ने अनुरोध किया है। 2022 से पहले 8 माह में 90 हजार लोगों ने अनुरोध किया। इसके पहले 70 हजार था।
उन्होंने बताया कि तीन दिन तक चलने वाली बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत विविध संगठनों के प्रमुख प्रतिनिधि शामिल हुए। संघ में अनेक गतिविधियां चलती हैं जैसे गोसेवा, ग्राम विकास, पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता के विषय। इन विषयों को आगे बढ़ाने पर भी चर्चा हुई।
साभार-हिस

Share this news

About desk

Check Also

चारधाम यात्रा : बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुलेंगे, तैयारी पूरी

गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा बदरीनाथ धाम पहुंची, बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति के सहयोग से …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *