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खादी उत्सवः 7500 महिलाएं चरखा चलाकर खादी को बढ़ावा देने का संदेश देंगी

  •  बारदोली सत्याग्रह में इस्तेमाल हुए चरखे को चलाएंगे प्रधानमंत्री मोदी

अहमदाबाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को साबरमती रिवरफ्रंट पर आयोजित होने वाले खादी उत्सव में बारदोली के सत्याग्रह (1928) में इस्तेमाल किए गए 94 साल पुराने चरखे को चलाएंगे। राज्यभर की 7500 प्रतिभागी महिलाएं चरखा चलाकर खादी ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने का संदेश भी देंगी। मोदी 22 चरखे भी देखेंगे जो 1920 से अब तक उपयोग में हैं।

आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में खादी के महत्व को उजागर करने के लिए यह विशेष उत्सव आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान खादी के विशेष महत्व पर भी प्रकाश डाला जाएगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री जनसभा को भी संबोधित करेंगे। राज्य के सुरेंद्रनगर, अमरेली, राजकोट सहित विभिन्न क्षेत्रों की 7500 महिला कारीगर एक साथ चरखा चलाएंगी। इस तरह की प्लानिंग दुनिया में पहली बार हो रही है। भाग लेने वाली महिलाएं सफेद साड़ी के ऊपर तिरंगे की पट्टी बांधेंगी। प्रधानमंत्री कार्यक्रम स्थल पर मौजूद खादी कारीगरों से भी बातचीत करेंगे और उनके साथ चरखा चलाएंगे। प्रदेश के 75 कलाकार प्रधानमंत्री का स्वागत करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार से गुजरात के दो दिन के दौरे पर हैं। अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट पर शाम साढ़े पांच बजे खादी उत्सव के कार्यक्रम के बाद वह रिवरफ्रंट पर बने अटल ब्रिज का उद्घाटन करेंगे।

खादी की बिक्री में 245 प्रतिशत की वृद्धि

देश में खादी का उत्पादन बढ़ रहा है। खादी विकास एवं ग्रामोद्योग आयोग के अनुसार, देश में खादी उत्पादन में 172% की वृद्धि हुई है और 2014 से इसकी बिक्री में 245% की वृद्धि हुई है। विकास में कई अन्य चरखाओं के साथ यरवडा चरखा भी शामिल होगा जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से लेकर आज इस्तेमाल की जाने वाली नवीनतम तकनीक के चरखों को प्रदर्शित करेगा।

गंगा जितनी पावन, उतनी ही पावन पोंडुरु खादी

यंग इंडिया में पोंडुरु खादी के बारे में लिखते हुए महात्मा गांधी ने इसे गंगा से भी पवित्र बताया। पोंडुरु खादी आंध्र प्रदेश के पोंडुरु गांव से जुड़ा है, जहां वर्तमान में करीब 1200 लोग खादी की बुनाई में लगे हुए हैं। ये लोग भी प्रधानमंत्री के समक्ष पोंडुरु खादी उत्पादन का लाइव प्रदर्शन करेंगे। इस खादी की विशेषता यह है कि कपास चुनने से लेकर खादी का कपड़ा बनाने तक की पूरी प्रक्रिया हाथ से की जाती है।

देश के साथ विदेशों में भी बढ़ा है खादी का प्रचलन

खादी को खद्दर के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्रामीण भारत के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन है। खादी की कताई और बुनाई ने भारत के नागरिकों को अधिक आत्मनिर्भर बनाकर ब्रिटिश साम्राज्य को तोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई। गांधीजी की ‘विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार’ की नीति ने स्वतंत्रता प्राप्ति की आधारशिला रखी, इसलिए उन्होंने रणनीतिक रूप से चरखे को इसके लिए एक उपकरण के रूप में अपनाया। वर्तमान में इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश की नई पीढ़ी को खादी के बारे में जानकारी देना और इसके उपयोग को बढ़ाना, प्रधानमंत्री के “फैशन के लिए खादी, राष्ट्र के लिए खादी, परिवर्तन के लिए खादी” के मंत्र को पूरा करना है। खादी का प्रचलन देश के साथ-साथ विदेशों में भी बढ़ा है।

प्रधानमंत्री मोदी शाम को अहमदाबाद में जनसभा को संबोधित करेंगे। उसके बाद गांधीनगर राजभवन में रात्रि विश्राम करेंगे। प्रधानमंत्री 28 अगस्त को कच्छ जाएंगे, जहां वह भुज, कच्छ में स्मृतिवन का उद्घाटन करेंगे। वह कच्छ-भुज नर्मदा नहर की शाखा नहर का उद्घाटन करेंगे। वह 1745 करोड़ की लागत से 375 किमी लंबी नहर का उद्घाटन करेंगे, जिससे 948 गांवों और 10 शहरों को नहर से पानी उपलब्ध कराया जाएगा। वह 28 अगस्त को गांधीनगर में महात्मा मंदिर कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद रात 9 बजे दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
साभार-हिस

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