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टाटा क्लासएज ने नए सेल्फ-स्टडी ऐप ‘स्टडी’ शुरू किया

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर/मुंबई

टाटा इंडस्ट्रीज़ का डिवीजन, टाटा क्लासएज (टीसीई), भारत का पहला शिक्षा प्रौद्योगिकी संगठन है, जिसने राष्ट्रीय और राज्य बोर्ड्स के भारतीय विद्यालयों को पाठ्यपुस्तकों के आधार पर तैयार किया हुआ कन्टेन्ट प्रदान किया. टीसीई का यह दसवां साल है और उनका कक्षा समाधान भारत भर के करीबन 2000 विद्यालयों में 150000 शिक्षकों और 1.7 मिलियन छात्रों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है.

टीसीई ने टाटा क्लासएज के साथ ‘स्टडी’ (Studi) शुरू किया है, जिसे सीधे छात्रों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है, इसमें नियोजन, अभ्यास और संकल्पनाओं को पूरी तरह से समझकर उनमें माहरत हासिल करने पर ज़ोर दिया जाता है. टीसीई के सीईओ मिलिंद शहाणे ने बताया कि स्वावलंबी छात्र विकसित करने के लिए ‘स्टडी’ की रचना की गयी है. इसीलिए यह न केवल क्या पढ़ना है बल्कि कैसे पढ़ना है इस पर भी ज़ोर देता है.

स्टीफेन कोवी द्वारा बतायी गयी अत्यधिक प्रभावी लोगों की सात आदतों की तरह ‘स्टडी’ में सीखने की विधियां स्वावलंबी छात्रों की सात आदतों के आधार पर बनायी गयी हैं. इनमें सीखने के लक्ष्य निर्धारित करना, ‘बिग आईडिया’ को समझना, बार-बार पढ़ना, अभ्यास करना, अभ्यास सत्रों में अंतर रखना, परीक्षण और प्रगति पर नज़र रखना शामिल हैं.

शहाणे ने कहा कि हम छात्रों को विभिन्न विषयों में अपनी पढ़ाई की योजना बनाने और शेड्यूल करने में सक्षम बनाना चाहते हैं, ताकि वे सिर्फ रटने के बजाय व्यवस्थित रूप से सीखें और प्रभावी अध्ययन रणनीतियों का उपयोग आत्मविश्वास से करें. उन्होंने आगे बताया कि प्रभावी पढ़ाई के पीछे एक विज्ञान है और ‘स्टडी’ में इस विज्ञान के कुछ सर्वोत्तम सिद्धांतों का इस्तेमाल किया गया है.

अडाप्टिव प्लानर ‘स्टडी’ की उन प्रमुख विशेषताओं में से एक है, जो इसे दूसरों से अलग बनाती हैं. शहाणे ने बताया कि एक बच्चे को किसी विषय के लिए कितना समय देना चाहिए? अगली कक्षा परीक्षा की तैयारी उसे कैसे करनी चाहिए? बच्चे को किन विषयों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है? इन सवालों को अडाप्टिव प्लानर के ज़रिए हल किया जाता है और बच्चे को कुशलतापूर्वक पढ़ाई के लिए सक्षम करते हैं ताकि वह उसके पढ़ाई के लक्ष्यों को प्राप्त सकें.

इस ऐप की और एक विशेषता है ‘बिग आईडिया’, यानि एक छोटा वीडियो जो हर पाठ के शुरूआत में होता है और इसमें उस पूरे पाठ का प्रमुख विचार बताया जाता है. शहाणे ने कहा कि कुछ भी पढ़ने के लिए जब कहा जाता है तब लगभग हर बच्चा पूछता है “इसे मैं क्यों पढूं?” या “यह कैसे मायने रखता है?” इन सवालों के जवाब बिग आईडिया में हर पाठ के पहले दिए जाते हैं और बच्चें इसे पसंद करते हैं.

इस ऐप में अभ्यास सत्र हर पाठ के अंत में, केवल एक बार ही नहीं दिए जाते. उन्हें हर हफ्ते दोहराया जाता है ताकि बच्चों को उन्होंने जो पढ़ा है वो अच्छे से याद रह सकें. अभ्यास के साथ-साथ समय-समय पर स्व-परीक्षाएं होती हैं जिससे पढ़ाई के हर चरण पर बच्चे के आत्मविश्वास का स्तर मापने में मदद मिल सकें.

जहां टीसीई का पहले से इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसे 10 स्कूलों के 5000 छात्रों के बीच, अक्टूबर 2020 से लेकर चार महीनों तक टाटा क्लासएज के साथ ‘स्टडी’ को प्रायोगिक आधार पर चलाया गया था. शहाणे ने कहा कि हमें शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों से इस ऐप के बारे में कुछ गज़ब की प्रतिक्रिया मिली. बच्चों के सीखने के कौशल को बेहतर बनाने में मदद कर सकें ऐसा अनूठा शिक्षा समाधान तैयार करना हमारा सपना था. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी सीखने के तरीके सीखने की बात कही गयी है.

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