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पशुपालन विभाग के कर्मचारियों को जारी फरमान चर्चा में

भुवनेश्वर, गोविंद राठी – भारतीय संस्कृति में भाई शब्द का बड़ा महत्व है। इससे अपनापन और संबंधों में प्रगाढ़ता आती है, लेकिन यह शब्द ओडिशा में सरकारी कर्मचारियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। ओडिशा सरकार के पशुपालन विभाग के कर्मचारियों को जारी किए गए एक फरमान की इन दिनों हर तरफ चर्चा हो रही है। यह फरमान पशुपालन और पशुचिकित्सा सेवा के निदेशक रत्नाकर राउत ने जारी किया है। इस फरमान के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी ने अपने किसी वरिष्ठ के लिए ‘भाई’ शब्द का इस्तेमाल किया तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। निदेशक की ओर से 16 नवंबर को इस आदेश की आधिकारिक अधिसूचना जारी की गई। इसमें जूनियर अधिकारियों और फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों को चेताया गया है कि वे कार्यालय परिसर में वरिष्ठों के सामने आने के बाद या अपनी बात रखते वक्त डेकोरम का ध्यान रखें। निदेशक ने अपने आदेश में कहा है कि निर्देशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा। साथ ही दोषी के खिलाफ कानून के हिसाब से समुचित और कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। ये आदेश निदेशक राउत के संज्ञान में ये आने के बाद जारी किया गया कि कुछ जूनियर स्तर के अधिकारी राज्य निदेशालय और फील्ड दफ्तरों में अपने वरिष्ठों से डील करते वक्त डेकोरम का सही से ध्यान नहीं रख रहे हैं। मिसाल के तौर पर तकनीकी अधिकारी अपने से वरिष्ठ सब डिविजनल वेटेरनरी ऑफिसर्स/चीफ डिस्ट्रिक्ट वेटेरनरी ऑफिसर्स और ज्वाइंट डायरेक्टर्स के लिए ‘भाई’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। निदेशक राउत ने कहा कि किसी भी सरकारी कर्मचारी का अपने से वरिष्ठों को इस तरह से संबोधित करना उचित नहीं है। यह ना सिर्फ ओडिशा सरकार सेवा आचरण, नियम 1959 का उल्लंघन है बल्कि अतिक्रमण है। बता दें कि इस साल स्वतंत्रता दिवस पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ की औपचारिकता को बंद कर दिया था। पटनायक ने कहा था कि इस तरह का रिवाज ब्रिटिश युग की निशानी है और जनता की सरकार को चलाने के लक्ष्य के साथ फिट नहीं बैठती।
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