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डल झील से नेशनल गोल्ड तक : मोहसिन अली ने खींची सफलता की पतवार

श्रीनगर। डल झील पर शिकारा चलाने से लेकर खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल 2025 में स्वर्ण पदक जीतने तक, मोहसिन अली की कहानी संघर्ष और सपनों का अनोखा संगम है। 17 वर्षीय मोसिन ने गुरुवार को पुरुषों की 1000 मीटर कयाकिंग स्पर्धा में 4:12:717 का समय लेकर पहला स्वर्ण पदक जीतकर जम्मू-कश्मीर का नाम रोशन किया।

जीत के बाद डल झील से बाहर आते ही मोहसिन का स्वागत दर्शकों ने जोश-ओ-खरोश से किया। खुशी के आंसुओं के बीच उन्होंने अपने कोच बिलकिस मीर को गले लगाया। मोहसिन, जो एसपी हायर सेकेंडरी स्कूल में 12वीं कक्षा का छात्र है, रोजाना स्कूल के बाद शिकारा चलाकर परिवार का सहारा बनता है और अपने डाइट के लिए पैसे जुटाता है।

एक बढ़ई के बेटे मोहसिन ने स्वर्ण पदक जीतने पर कहा कि आर्थिक तंगी और पांच सदस्यीय परिवार की जिम्मेदारी के बावजूद पिता ने उसे खेलों के प्रति प्रोत्साहित किया। मोहसिन ने गर्व से कहा कि “यह मेरे पिता की देन है”।

मोहसिन ने कहा, “मेरा सपना है कि मैं भारत का प्रतिनिधित्व एशियन गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक में करूं।” उसने कहा कि डल झील की ऊंचाई पर अभ्यास करने की वजह से उसमें धैर्य की कमी नहीं है।

पानी से जुड़ा यह जुनून मोहसिन को बचपन से ही रहा है। सात साल की उम्र से उसने पानी में हाथ आजमाना शुरू किया। उसने अपने सफर में जम्मू-कश्मीर कयाकिंग एंड कैनोइंग एसोसिएशन को भी श्रेय दिया, जिसने उसे प्रशिक्षण और सुविधाएं उपलब्ध कराईं।

हालांकि संसाधनों की कमी बड़ी चुनौती रही। पेशेवर खिलाड़ियों के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर डाइट जरूरी होती है, लेकिन मोहसिन के पास यह सुविधा नहीं थी। फिर भी उसने दृढ़ इच्छाशक्ति से इन बाधाओं को पार किया।
साभार – हिस

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