नई दिल्ली। डल झील पहली बार एक नए अंदाज में देश के सामने आने को तैयार है। जम्मू-कश्मीर की पहचान बन चुकी इस झील में खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल का आयोजन 21 से 23 अगस्त तक होगा। यह पहला मौका होगा जब राष्ट्रीय स्तर की ओपन वॉटर स्पोर्ट्स प्रतियोगिता यहां आयोजित की जाएगी। इस तीन दिवसीय खेल महाकुंभ में देशभर के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 400 से अधिक खिलाड़ी भाग लेंगे।
छह खेलों में होगी प्रतिस्पर्धा
फेस्टिवल में कुल छह खेल होंगे, जिनमें तीन पदक इवेंट रोइंग, कायाकिंग और कैनोइंग शामिल हैं। इसके अलावा डेमो इवेंट्स के तौर पर वॉटर स्कीइंग, ड्रैगन बोट रेस और शिकारा स्प्रिंट भी आयोजित किए जाएंगे, जो दर्शकों के लिए खास आकर्षण रहेंगे। गुलमर्ग पहले ही खेलो इंडिया विंटर गेम्स के जरिए देश का प्रमुख विंटर स्पोर्ट्स हब बन चुका है। अब डल झील को वाटर स्पोर्ट्स गंतव्य बनाने की कोशिश की जा रही है। इस आयोजन से न सिर्फ एथलीट्स बल्कि हाउसबोट मालिकों और स्थानीय कारोबारियों को भी फायदा मिलने की उम्मीद है। आयोजन की तैयारी के लिए झील की सफाई और डिवीडिंग जैसे काम तेजी से किए गए हैं।
खिलाड़ियों और विशेषज्ञों की उम्मीदें
जाने-माने कायाकिंग और कैनोइंग खिलाड़ी व ओलंपिक जज बिलक़िस मीर ने कहा, “यह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत में वाटर स्पोर्ट्स के नए युग की शुरुआत है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया का आभार मानते हैं।” अब तक 15 राष्ट्रीय पदक जीतने वाले युवा खिलाड़ी मोशिन अली ने कहा कि वह डल झील में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचना चाहते हैं। कोच मुहम्मद इम्तियाज़ का मानना है कि जैसे गुलमर्ग विंटर स्पोर्ट्स का केंद्र बना, वैसे ही यह फेस्टिवल डल झील को वाटर स्पोर्ट्स के नक्शे पर चमकाएगा।
सांस्कृतिक रंग भी होंगे खास
इस आयोजन को कश्मीर की संस्कृति से भी जोड़ा गया है। फेस्टिवल का मैस्कॉट हिमालयन किंगफिशर है जबकि लोगो में डल झील का शिकारा शामिल किया गया है। शिकारा चलाने वाले मुहम्मद रफीक मल्ला ने कहा कि इस आयोजन से झील में रहने वाले लोगों को भी नए अवसर मिलेंगे।
खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल खेलो इंडिया कैलेंडर में शामिल नई प्रतियोगिता है। यह आयोजन गुलमर्ग में खेलो इंडिया विंटर गेम्स के बाद जम्मू-कश्मीर में होने वाला दूसरा बड़ा इवेंट होगा। 2017-18 में शुरू हुई खेलो इंडिया योजना का मकसद जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को बढ़ावा देना, प्रतिभा की पहचान करना और खेल अवसंरचना का विकास करना है।
साभार – हिस