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बुजुर्ग पिता ने बेटा बताकर, तो पत्नी ने अपना पति बताकर जताया अधिकार, द्वंद्व में फंसा प्रशासन
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जानकारी के मुताबिक बालेश्वर जिले में रमामणि की हालत अपने पति को लेकर रो-रो कर बेहाल हो गई थी क्योंकि उन्हें पता ही नहीं चल पा रहा था कि उनका पति कार्तिक बेरा इस हादसे में जिंदा है या मर गया है। अपनी पति के बारे में पता लगाने के लिए वह बालेश्वर से एम्स भुवनेश्वर और कीम्स भुवनेश्वर अस्पताल के साथ विभिन्न अस्पताल का चक्कर लगा रही थी। अपनी दो वर्ष की बच्ची को लेकर वह पति की तलाश में जुटी थी। आखिरकार उसने पैर की उंगलियों को देखा और अपने पति को पहचान लिया। हालांकि इसके बावजूद पार्थिव शरीर उन्हें एम्स की ओर से नहीं दिया गया।
इसके पीछे बेटे को खोने वाले बूढ़े पिता पंचानन का दुख भी कम नहीं है।ट्रेन हादसे की खबर मिलने के बाद वह भी अपने बेटे की तलाश के लिए पश्चिम बंगाल से पहुंचे। चूंकि ससुर और बहू अलग अलग रहते हैं, ऐसे में दोनों कार्तिक के शव को ले जाने की जिद पर अड़ गए। इससे एम्स और बीएमसी के लिए एक अनिश्चित स्थिति पैदा कर दी। कार्तिक का शव पिछले दो दिनों से रमामणि या पंचानन को नहीं दिया गया है। पत्नी रमामणि की दो साल की बेटी और पिता पंचानन बेरा के रक्त के नमूने एम्स ने एकत्र किए हैं और डीएनए परीक्षण के लिए दिल्ली भेजे गए हैं। वहां से रिपोर्ट आने के बाद शव सौंप दिया जाएगा। हालांकि रिपोर्ट आने के बाद भी विवाद सुलझने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
प्राप्त खबर के मुताबिक पश्चिम बंगाल के कार्तिक बेरा की शादी ओडिशा के बालेश्वर जिले की रमामणि से हुई थी। कार्तिक चेन्नई की एक कंपनी में काम करता था। रमामणि अपनी दो साल की बेटी के साथ अपने पिता के घर पर रहती थी। कुछ दिनों से उसका ससुराल वालों से कोई संपर्क नहीं था, लेकिन पति के साथ संबंध सामान्य थे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कार्तिक बेरा की एक और पत्नी भी है। वह कई वर्षों से कार्तिक के साथ नहीं हैं।