गोविंद राठी, बालेश्वर
यहां के बामपदा स्थित बिरला टायर्स कारखाने में कुछ मजदूर अपना स्वार्थ हासिल करने के लिए ज्यादातर समय कारखाने में अराजकता पैदा करके रखते हैं. कारखाने के अंदर घुसकर दूसरे श्रमिकों पर आक्रमण करने पर भी पीछे नहीं हटते हैं. पुलिस की निष्क्रियता के कारण बिरला टायर्स में अशांति का माहौल पैदा होने का आरोप यहां के पूर्व विधायक तथा वरिष्ठ राजनेता अरुण दे ने लगाया है. यहां आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में दे ने कहा कि साल 1991 में बिरला टायर्स कारखाने की स्थापना बालेश्वर में हुई थी. यहां पर एक हजार से ज्यादा श्रमिक एवं कर्मचारी काम करते हैं. मगर पिछले मार्च 12 तारीख से यह कारखाना बंद पड़ा है. कंपनी द्वारा श्रमिकों को नियमित रूप से वेतन प्रदान करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में बिरला टायर्स एकमात्र ऐसी कंपनी है, जो बिना काम के भी श्रमिक एवं मजदूरों को वेतन प्रदान करती आ रही है. पहले से 4 साल से बिना काम किए भी श्रमिकों एवं मजदूरों को कंपनी की तरफ से वेतन प्रदान किया गया है. हालांकि एक साल का वेतन इन्हें नहीं दिया गया है, मगर कंपनी के द्वारा मिली गई प्रतिष्रुति के अनुसार कारखाना चलने पर इन मजदूरों को वह बकाया वेतन भी प्रदान कर दिया जाएगा. मार्च से बंद पड़े कारखाना को चलाने के लिए उच्च अधिकारी चिंता में पड़े हैं. मगर कुछ श्रमिक एवं गैर श्रमिकों के कारण इस कारखाने के अंदर बार-बार अशांति कर कारखाने की चीजों को भी तोड़फोड़ किया जा रहा है. यहां तक कि मजदूरों के घर में घुसकर भी उन पर आक्रमण किया जा रहा है. इस बाबत में शिलपांचल थाना में दो बार शिकायत भी दर्ज करवाई जा चुकी है, मगर पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के बजाय उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रही है. अरुण दे ने आरोप लगाया कि इस घटना के बाबाद में बालेश्वर पुलिस अधीक्षक को बार-बार अवगत कराने के बाद भी वह कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. उन्होने चिंता जताई कि इस तरह के बार बार अशांत मौहल से कारखाने को भारी नुकसान हो रहा है एवं अगर ऐसा चलता रहा तो कारखाना को बंद करने की नौबत आ सकती है. जिसका खामियाजा यहां पर काम कर रहे मजदूरों एवं श्रमिकों को भरना पड़ेगा.
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