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प्रसार समेत रोग पैदा करने की क्षमता की गंभीरता, टीकों का प्रभाव अध्ययन के अधीन
भुवनेश्वर. सार्स-कोव -2 का डेल्टा प्लस संस्करण एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है. इससे बचने के लिए लोगों को कोरोना नियमों का सही से पालन करने की जरूरत है. हालांकि इससे उत्पन्न खतरे जैसा कि संक्रमण प्रसार क्षमता, रोग पैदा करने की क्षमता की गंभीरता, टीकों से बचने की क्षमता या इस पर प्रभाव आदि बातें अभी भी अध्ययन के अधीन हैं. यह बातें बुधवार को ओडिशा के चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशक (डीएमईटी) सीबीके मोहंती ने कहीं.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, भारत सरकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) भी डेल्टा प्लस संस्करण को लेकर चिंतित हैं.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस संस्करण को चिंता का एक संस्करण अर्थात वेरिएंट ऑफ कन्सर्न (वीओसी) के रूप में घोषित कर दिया है. मोहंती ने कहा कि इसकी गंभीरता को देखते हुए लोगों को कोविद नियमों का उपयुक्त पालन सुनिश्चित करना होगा.
गौरतलब है कि केंद्र ने महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश को सार्स-कोव-2 के डेल्टा प्लस संस्करण के बारे में सतर्क रहने की सलाह दी है. इन राज्यों के कुछ जिलों में यह संस्करण पाया गया है.
केंद्र सरकार ने इन राज्यों को भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इनसाकोग) के हालिया निष्कर्षों के बारे में सचेत किया है. इनसाकोग स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत कोरोना संदर्भ में संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण के लिए 28 प्रयोगशालाओं का एक संघ है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश को सलाह दी है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया उपायों, जो मोटे तौर पर उनके द्वारा पहले लागू किए गए हैं, उन्हें अधिक केंद्रित और प्रभावी बनाना होगा.
केंद्र ने तीन राज्यों के मुख्य सचिवों को सलाह दी है कि वे जिलों और समूहों (जैसा कि इनसाकोग द्वारा पहचाना गया है) में तत्काल रोकथाम के उपाय करें, जिसमें भीड़ को रोकना और लोगों को आपस में मिलाना, व्यापक परीक्षण करना और शीघ्र ट्रेसिंग के साथ-साथ प्राथमिकता आधार वैक्सीन कवरेज भी शामिल हैं.
साथ ही उन्हें यह भी सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि पाजिटिव व्यक्तियों के पर्याप्त नमूने इनसाकोग की नामित प्रयोगशालाओं को तुरंत भेजे जाएं, ताकि राज्यों को आगे मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए अध्ययन किया जा सके.