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जिदंगी में खुश रहने के लिए तन और मन को सही रखना होगा – राम किशोर शर्मा

  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निर्माण का वेबिनार

पुरी. सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक के क्षेत्र में कार्य कर रही पुरी की स्वयंसेवी संस्था निर्माण ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर “योग ही जीवन की खुशी का द्वार है” विषय पर प्रभावी राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया. इस मौके पर पुरी जिला बाल कल्याण समिति की सदस्या दीप्ति दाश ने स्वागत भाषण एवं अतिथियों का परिचय प्रदान किया. तदोपरांत हिमांशु पंडा ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया. डॉ आलोक स्वाईं के कुशल नेतृत्व में जगन्नाथ योग वेदांत सांस्कृतिक केंद्र के बाल साधकों ने योग का चमत्कारिक प्रदर्शन किया.

वेबिनार में मुख्य वक्ता एवं भारत सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के दिव्यांग जन नेशनल करियर सर्विस सेंटर असम, मेघालय, नगालैंड के प्रभारी राम किशोर शर्मा ने जोर देकर कहा कि आज के भागम-भाग,  तनाव भरी तेज उड़ान वाली जिदंगी में यदि वाकई हम खुश रहना चाहते हैं, तो हम को अपने तन और मन को सही रखना होगा और यह नियमित योगाभ्यास से ही संभव होगा. योग हमारी दिनचर्या एवं शिक्षा पद्धति का अभिन्न अंग होना चाहिए.

हिमाचल से एओएल के राष्ट्रीय बोर्ड के सदस्य योगेंद्र सिंह ने कहा कि पतंजलि ने अष्टांग योग की बात की, यह साथ-साथ समानंतर होने वाली योगिक क्रियाएं, गतिविधियां हैं, जो हमें तनाव, अवसाद से बाहर निकाल कर खुशी की दहलीज पर ले जाति है.

आर्ट ऑफ लिविंग, संबलपुर के वरिष्ट प्रशिक्षक हिमांशु पंडा ने ज्वलंत उदाहरण देकर काव्य मय तरीके से यह समझने की सफल कोशिश की कि सभी जगह, हमारी हर कार्य में यौगिक क्रियाएं हैं, मुद्राएं हैं.

डॉ मनोज कुमार हंसदा ने योग विज्ञान एवं चिकत्सा विज्ञान के आपसी संबंध को बड़े सरल सहज एवं सटीक तरीके से स्थापित किया.

स्वामी सुभानंद जी, अध्यक्ष आनंद धाम एवं राज्य समन्वयक, साधु समाज ओडिशा ने वेबिनार को सफलता से मॉडरेट किया एवं निष्कृतः कहा कि हमारे वेदों, पुराणों, ऋषी मुनियों, महापुरुषों ने सुख शान्ति के साथ जीवन यापन करने की बात अष्टांग योग के माध्यम से की. आज दुनिया में भारत की इसी प्राचीन परंपरा की  स्वीकारोक्ति हुई है. अतः हर भारतीय को अपनी संस्कृति एवं सभ्यता पर ना सिर्फ गर्व करना चाहिए, बल्कि इसे ही अपनी जीवनशैली बनाना चाहिए.

अंत में निर्माण संस्था के सचिव एवं समाज सेवी सिद्धार्थ रॉय ने धन्यवाद ज्ञापित किया एवं कहा कि पुरी की पावन भूमि पर निर्माण संस्था सांस्कृतिक सामाजिक,  साहित्यक विकास का समागम करती रहेगी.

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