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भक्तविहीन होगी भगवान लिंगराज और देवी पार्वती शादी

  • सिर्फ सात सेवायतों को समारोह संपन्न कराने की जिम्मेदारी

  • मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर पावंदी

लिंगराज मंदिर की फाइल फोटो.

भुवनेश्वर. भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) ने कोविद-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान केदार गौरी मंदिर परिसर में 15 से 16 जून तक भगवान लिंगराज और देवी पार्वती का पवित्र विवाह समारोह आयोजित करने की आज अनुमति दे दी. हालांकि कुछ शर्तों भी रखी गयी हैं. जानकारी के अनुसार, अधिकतम मंदिर के सिर्फ सात सेवायतों को ही पवित्र विवाह समारोह करने की अनुमति है. इसके लिए कार्यकारी अधिकारी, लिंगराज मंदिर ट्रस्ट को सेवायतों के 07 नामों की सूची बीएमसी आयुक्त के पास जमा करनी है. इन सात के अलावा और किसी अन्य सेवायत की अनुमति नहीं दी जाएगी.

पवित्र विवाह समारोह के दौरान भक्तों को किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए मंदिर में जाने की अनुमति नहीं होगी और किसी भी प्रकार की भीड़ को रोकने के लिए मंदिर के सभी द्वार बंद रखे जायेंगे. पवित्र विवाह समारोह के दौरान तंबू की सजावट, माइकिंग, साउंड सिस्टम, जेनसेट, आतिशबाजी तथा भोज की अनुमति नहीं होगी.

15 जून को लिंगराज प्रभु की बारात लिंगराज मंदिर से केदार गौरी मंदिर तक विमान और पालिकी से रात 11.00 बजे निकलेगी और रात 11.45 बजे तक पहुंच जाएगी. 16 जून को वह रात 10.30 बजे लौटेंगे और 11.45 बजे तक लिंगराज मंदिर पहुंचेंगे.

पवित्र विवाह समारोह के दौरान सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार हर समय सख्त व्यक्तिगत और सामाजिक दूरी बनाए रखी जानी चाहिए तथा सेनिटाइजेशन का ध्यान रखना होगा. कम से कम छह फीट की पर्याप्त दूरी बनाए रखी जानी चाहिए. उत्सव के पूरा होने के बाद पवित्र विवाह समारोह के स्थान को सेनिटाइज किया जाना चाहिए.

इस दौरान यदि किसी सेवायत में कोई कोरोना के लक्षण विकसित होते हैं, तो उन्हें भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ऐसे सदस्यों के बारे में तुरंत कार्यकारी अधिकारी, लिंगराज मंदिर ट्रस्ट / जेडडीसी / वार्ड अधिकारी को तत्काल और आवश्यक कार्रवाई के लिए सूचित करना होगा. दोनों मंदिरों-लिंगराज महाप्रभु और केदार गौरी मंदिर में किसी भी प्रकार की सजावट की अनुमति नहीं है. कोरोना नियमों के उल्लंघन पर अनुमति रद्द कर दी जाएगी.

भगवान लिंगराज महाप्रभु और देवी पार्वती का पूरा उत्सव पुलिस सुरक्षा और डीसीपी, भुवनेश्वर में आयोजित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी जनता को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है और रास्ते में कोई भीड़ नहीं होगी.

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