हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
ओडिशा में कोरोना के संक्रमण ने जो गति पकड़ी है, वह थमने का नाम नहीं ले रही है. बीते पांच-छह दिनों में संक्रमण की संख्या छह और सात हजार के बीच स्थिर है. इस संख्या का नहीं बढ़ना जितनी खुशी की बात है, उससे खतरनाक इस संख्या के नियत स्तर पर ठहरना भी हो सकता है. अगर सिर्फ 10 दिनों तक यही संख्या रही तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राज्य में कोरोना संक्रमितों कि संख्या कितनी हो सकती है. बीते 24 घंटे के दौरान ओडिशा में कोरोना से 10 रोगियों की मौत और 6073 नये मामलों की पुष्टि हुई है. इनमें सर्वाधिक चार रोगियों की मौत खुर्दा जिले में हुई है, जिनमें से दो रोगी भुवनेश्वर में मरे हैं और बीते 24 घंटे के दौरान खुर्दा जिला में सर्वाधिक 1092 संक्रमित पाये गये हैं. राज्य में मौत का आंकड़ा दो हजार तथा सक्रिय मामलों की संख्या 50 हजार के पार गया है. ओडिशा में आज की तारीख में 50958 कोरोना के सक्रिय मामले हैं.
यहां गौर करने की बात यह है कि कोरोना संक्रमण में एक बड़ा हिस्सा स्थानीय संक्रमण का है. अक्सर सरकारी बयान यह आ रहा है कि राज्य में अभी तक अस्पतालों में उपलब्ध कुल बेडों में से 20-30 प्रतिशत भी उपयोग नहीं किया गया है. इसका मतलब यह है कि अधिकांश रोगी होम क्वारेंटाइन या संगरोध में हैं.
कहीं होम क्वारेंटाइन खतरानाक तो नहीं?
होम क्वारेंटाइन में रोगियों के स्वस्थ्य होने की दर अच्छी है, लेकिन वहीं एक सवाल यह भी है कि क्या कहीं होम क्वारेंटाइन तो कोरोना संक्रमण को बढ़ाने में जिम्मेदार नहीं है? यह सवाल कोरोना संक्रमितों की संख्या के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद उठ रहे हैं.
आज राज्य सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार राज्य में कुल पाजिटिव मामलों 6073 से स्थानीय संक्रमण की संख्या 2551 है. 26 अप्रैल को कुल संक्रमितों 6599 में से 2772 स्थानीय संक्रमित थे. 25 अप्रैल को 6112 में से 2570 स्थानीय संक्रमित थे. 24 अप्रैल को 6647 में से 2792 स्थानीय संक्रमण के मामले थे. 23 अप्रैल को 6215 में से 2611 स्थानीय संक्रमण के मामले पाये गये थे. 22 अप्रैल को 6164 में से 2589 स्थानीय संक्रमण के मामले थे. 21 अप्रैल को कुल कोरोना रोगी 4851 में से 2037 कोरोना संक्रमित स्थानीय संक्रमण के शिकार हुए थे.
अब सवाल यह है कि स्थानीय संक्रमण के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? इसका जवाब अस्तालों में रिक्त बेडों की संख्या और होम क्वारेंटाइन या संगरोध में अधिक रखने की व्यवस्था के बीच अटका हुआ है. भले ही होम क्वारेंटाइन या संगरोध में रिकवरी रेट अच्छी हो, लेकिन चिंता की बात यह है कि स्थानीय संक्रमण की संख्या अच्छी खासी देखने को मिल रही है. स्थानीय संक्रमण कहां से आ रहा है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
होम संगरोध में कहीं लापरवाही तो नहीं ?
स्वास्थ विभाग के कुछ जानकारों ने कहा कि अभी इस दृष्टिकोण कोई भी अध्ययन सामने नहीं आया है, लेकिन इण्डो एशियन टाइम्स का यह सवाल अब सोच की केंद्र में आ गया है. कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कहा कि यदि होम क्वारेंटाइन या संगरोध में नियमों का पालन सही से नहीं किया गया, तो स्थानीय संक्रमण की संख्या को बढ़ाने वाले कारकों में एक प्रमुख कारक भी हो सकता है.
ट्रैक पर हैं अप्रवासी तो स्थानीय संक्रमण कैसे?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी बाहर से आने वाले अप्रवासियों की सरलता से ट्रैकिंग हो रही है. संगरोध में रखा जा रहा है. इसके बावजूद स्थानीय संक्रमण की संख्या क्वारेंटाइन केंद्रों को छूने के करीब पहुंच रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं होम क्वारेंटाइन या संगरोध के दौरान कोरोना नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.
होम क्वारेंटाइन की नोटिस की जरूरत
एक चिकित्सक ने कहा कि घरों के बाहर होम क्वारेंटाइन की सूचना चस्पा करने की व्यवस्था को पुनः शुरू करने की जरूरत है. इससे आसपास के लोगों को जानकारी मिलती है और वह जागरूक होकर कोरोना नियमों का पालन सुनिश्चित रख सकते हैं. यह सतर्कता स्थानीय संक्रमण की संख्या को कम करने में मददगार हो सकती है. जब लोगों को पता होगा कि इस परिवार में कोरोना पाजिटिव हैं, वे उन पर नजर भी रखेंगे और उनकी मदद भी करेंगे. स्थानीय संक्रमण को रोकने के लिए पड़ोसियों को कोरोना संक्रमित होने की सूचना अनिवार्य रूप से दिये जाने की जरूरत है.