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कटक में प्रकृति से खिलवाड़, महानदी का कहर झेलने को रहें तैयार

  • नदी में बालू भर कर तट चौड़ा करने का फैसला पड़ सकता है महंगा

  • बारिश के दिनों शहर समेत आस-पास के गांवों पर बरपेगा बाढ़ का कहर

  • अपनी मर्यादा की सीमा को लांघ रहे हैं जिलाधिकारी – अधिवक्ता प्रदीप पटनायक

  • कहा- सरकार की पालिसी के बिना शहर को बढ़ाने और विश्वस्तरीय अस्पताल का दिखा रहे हैं सपना

  • बुनियादी ढांचे को मोहताज मौजूदा लगभग 27 अस्पतालों पर डीएम का ध्यान नहीं

 

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Special Report of Indo Asian Times

शैलेश कुमार वर्मा, कटक

ओडिशा की पूर्व राजधानी और व्यवसायिक नगरी कटक में प्रकृति से खिलवाड़ किया जा रहा है. प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के कहर मार न सिर्फ शहर की जनता को झेलनी होगी, अपितु जिले के कई इलाके बाढ़ के पानी में समा जायेंगे. कटक के जिलाधिकारी के अपनी मर्यादाओं को लांघने के कारण यह नौबत आ सकती है.

बताया जाता है कि कटक के जिलाधिकारी के एक फैसले के कारण महानदी की वास्तिक प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हो रही है, जो बारिश के दिनों में कटक जिले की जनता पर बाढ़ के रूप में कहर बरपा सकती है.

यह दावा किया है महानदी बचाओ आंदोलन कमेटी के अध्यक्ष व अधिवक्ता प्रदीप पटनायक ने. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के एक गलत फैसले का शिकार कटक की जनता होगी, जिसे स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है.

महानदी बचाओ आंदोलन कमेटी की ओर से पत्रकार सम्मेलन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्रमिक नेता प्रफुल्ल समांतराय, अधिवक्ता सुशील दास, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप पटनायक, वरिष्ठ पत्रकार डॉ सत्य राय.                Photo – Indo Asian Times

पटनायक ने कहा कि लोग जानते हैं कि कटक शहर नदियों से घिरा हुआ है. ऐसी स्थिति में शहर को बढ़ाया नहीं जा सकता है, लेकिन जिलाधिकारी कटक शहर को रबड़ की तरह खींचकर फैलाने पर जुटे हैं. पटनायक ने दावा किया कि जिलाधिकारी के एक फैसले से महानदी में बालूभर कर उसके तट को समतल किया जा रहा. इसमें नदी का एक बड़ा हिस्सा समतल किया जा रहा है. नदी की तलहटी को भरकर समतल करना महानदी की प्रकृति के साथ छेड़छाड़ है. पटनायक ने बताया कि कटक शहर में महानदी में कटक संग्रहालय से कांटेन्मेंट चौक तक 1.5 किलोमीटर चौड़ा और पांच किलोमीटर लंबा नदी का हिस्सा बालू से भरा जा रहा है.

क्या है डीएम का सपना

अधिवक्ता प्रदीप पटनायक ने बताया कि जिलाधिकारी का कहना है कि वह यहां एक विश्वस्तरीय अस्पताल बनायेंगे. जिलाधिकारी का यह फैसला निजी है. कभी सरकार ने ऐसी पालिसी नहीं बनायी. पालिसी बनाते समय इसके प्रभाव को भी देखा जाता है, लेकिन सरकार की पालिसी के बिना जिलाधिकारी ने इतना बड़ा फैसला ले लिया है. उन्होंने सवाल उठाया कि जिलाधिकारी इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकते हैं. वह किस आधार पर नदी को पाटने का प्रयास कर रहे हैं.

जिले में लड़खाये 27 अस्पतालों की सुध नहीं

अधिवक्ता प्रदीप पटनायक ने कहा कि जिले में एससीबी मेडिकल कालेज और अस्पताल समेत लगभलग 27 अस्पताल जिले में हैं, जहां बुनियादी ढांचा लड़खड़ा गयी है. कहीं डाक्टर नहीं हैं, तो कहीं दवाएं नहीं हैं, तो कहीं बेड नहीं हैं. उन्होंने सवाल किया कि इसको देखना किसकी जिम्मेदारी है. लड़खड़ाये बुनियादी ढांचों पर ध्यान केंद्रित करने की जगह जिलाधिकारी एक मुसिबत की बुनियाद रख रहे हैं.

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क्या होगा महानदी को पाटने का असर

यदि महानदी में इतना बड़ा हिस्सा पाट दिया जाता है, तो इसकी वास्तविक प्रकृति बदलेगी. बारिश के समय इस नदी से गुरजने वाला पानी अपनी दिशा बदलेगा और शहर के साथ-साथ निचले इलाके बाढ़ के पानी में डूब जायेंगे. वर्तमान समय में सामान्य बारिश होने के कारण नालों का पानी शहर में भर जाता है, लेकिन बाढ़ की स्थिति में नालों के साथ-साथ बाढ़ का पानी शहर में प्रवेश कर जनजीवन को तबाह कर देगा.

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