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लोगों ने चटकदार स्वाद का आनंद लिया
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संबलपुर। संबलपुर समेत पूरे प्रदेश में शनिवार को विश्व पखाल दिवस मनाया गया। ओडिशा के पारंपरिक व्यंजनों में से पखाल सबसे महत्वपूर्ण व्यंजन है। क्या गरीब और क्या अमीर प्रत्येक ओडिया परिवार में पखाल का प्रचलन सदियों से चलता आ रहा है। किसान यदि खेत में काम कर रहा है तो उसे उसकी पसंदीदा खाद्य पखाल होती है। मजदूर मेहनत कर रहा हो तब भी दोपहर को उसे पखाल की आवश्यकता पड़ती है। पखाल को भी कई तरहों से बनाया जाता है। कुछ लोग भात बनाने के बाद उसमें दो तीन बार पानी डालकर उसे ठंडा करते हैं, फिर एक दो घंटे तक उसे डेकची में ही छोड़ दिया जाता है। पखाल में खटापन लाने हेतु नींबू एवं दही का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ यदि पापड़, आचार, तली हुई मछली, साग, बरी एवं भूजिया शुमार है तो फिर पखाल एकदम से शाही खाने में तब्दिल हो जाता है। यहांपर बताते चलें कि ओडिशावासियों के अराध्य देव श्री श्री जगन्नाथ भी पखाल प्रेमी हैं। श्रीमंदिर में मिलनेवाला टंक तोराणी इसका ज्वलंत उदाहरण है।
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पखाल ओडिशावासियों की नितदिन जरूरत है, किन्तु गर्मी का मौसम आरंभ होते ही इसकी मांग बढ़ जाती है। लोगो के आधुनिक जीवनशैली अपने व्यंजनों का पर्दापण हो चूका है, किन्तु पखाल अपनी पुरानी शान एवं बान के साथ आज भी ओडिशावासियों की पहली पसंद है। ओडिशा की इस खास परंपरा के प्रचार-प्रसार हेतु प्रत्येक वर्ष के 20 मार्च को पूरे विश्व में पखाल दिवस मनाया जाता है। ई-ओडिशा ऑर्गनाइजेंश के प्रयास पर 20 मार्च 2011 को पहली बार विश्व पखाल दिवस मनाया गया था। तबसे लेकर आजतक यह दिवस नियमित तौरपर मनाया जा रहा है। संबलपुर शहर के छोटे-मोटे होटलों में पहले से ही पखाल परोसे जाने की व्यवस्था है। किन्तु अब बड़े होटलों ने भी ग्राहकों को रिझाने हेतु पखाल की व्यवस्था आरंभ कर दिया है। संबलपुर के होटलों में सादा पखाल 80 रूपए से लेकर 150 रूपए तक में उपलब्ध है। जबकि मांसाहार पखाल 120 रूपए से 200 रूपए में उपलब्ध है। कुल मिलाकर यह कहना कदापि गलत नहीं होगा कि पखाल ओडिशा के लोगों की जीवनशैली का अंग है। मसलन विश्व पखाल दिवस पर सूबे में खुशी का आलम होना लाजिमी है। शनिवार को शहर के अनेकों लोगों ने अपने नाते-रिश्तेदारों को घर बुलाया और सबने मिलकर पखाल का आनंद उठाया।