-
बेरिकेड में चक्कर काटने को पर्यटकों ने बताया औचित्यहीन
-
अन्य विख्यात मंदिरों की तर्ज पर दर्शन व्यवस्था को लागू करने की मांग
-
जूते-चप्पल और मोबाइल जमा काउंटर पर सही सूचना नहीं मिलने से काटने पड़ रहे हैं इधर से उधर चक्कर
प्रमोद कुमार प्रृष्टि, पुरी
महाप्रभु श्रीजन्नाथ मंदिर के बाहर पर्यटकों की भीड़ को नियंत्रित करने के प्रबंधन सवाल उठने लगे हैं. श्रीमंदिर के प्रवेश द्वार से पहले बड़दांड पर संभावित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगाए गये बेरिकेड में इतने चक्कर काटने पड़ रहे हैं कि पर्यटक परेशान हो जा रहे हैं. प्रशासन को लगता है कि बेरिकेड में गोल-गोल घुमाकर भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि पर्यटकों ने इसे बकवास बताया है.
पर्यटकों का कहना है कि इससे दस कदम की जगह बेवजह सौ कदम चलना पड़ रहा है. इसमें समय की बर्वादी होती है. पर्यटकों ने कहा कि बेहतर तो होता कि वैष्णव देवी मंदिर की तरह टोकन व्यवस्था लागू कर देते. पश्चिम बंगाल से आये एक पर्यटक ने कहा कि यह प्रबंधन नहीं, कुप्रबंधन है. अगर हम सीधे चलते हैं तो 10 कदम में जांच की प्रक्रिया को पूरी करके मंदिर में प्रवेश कर जायेंगे और जितनी जल्द मंदिर में प्रवेश करेंगे, उतनी ही जल्द महाप्रभु के दर्शन करके बाहर निकल सकते हैं. लेकिन, यहां के प्रबंधकों को पता नहीं कहां इसकी जानकारी मिली कि इस तरह से भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है.
इसी तरह से एक बिहार के पर्यटक ने भी इस व्यवस्था सवाल उठाया. इस पर्यटक ने कहा कि यहां प्रबंधन में व्यवहारिकता का आभाव है. यह व्यवस्था सिर्फ इसलिए की गयी है कि कुछ व्यवस्था करनी है, सो इसे कर दिया गया है. पुरी महाप्रभु के दर्शन करने आये इस पर्यटक ने कहा कि जितना समय बेरिकेट में चक्कर काटने में जा रहा है, उससे कम समय में भक्त मंदिर में दर्शनस्थल तक पहुंच सकते हैं. इसी तरह से अन्य कई भक्तों ने भी अपने विचार रखे. पर्यटकों ने अन्य विख्यात मंदिरों की तर्ज पर दर्शन व्यवस्था को लागू करने की मांग की है.
इतना ही नहीं, मंदिर परिसर में काफी संख्या में तैनात पुलिस बल की तैनाती पर भी सवाल उठाया गया है. कोरोना काल में जहां कम भीड़ की बात कही जा रही है, वहीं श्रीमंदिर में दर्शन स्थल के पास काफी संख्या में पुलिस की तैनाती भीड़ को और बढ़ा रही है.
मंदिर के बाहर प्रशासन की तरफ से मोबाइल फोन, जूता-चप्पल और अन्य समानों को रखने के लिए बनाये गये काउंटर पर भी अव्यवस्था की शिकायत पर्यटकों ने की है. पर्यटकों ने बताया कि अक्सर होता है कि जिस काउंटर पर आप जमा करते हैं, वहीं पर सामान आपको दिया जाता है, लेकिन यहां नया प्रयोग किया गया है. इसके बारे में किसी प्रकार की जानकारी भी जमा करते समय पर्यटकों को नहीं दी जा रही है.
मंदिर में दर्शन करके लौटने के बाद काउंटर पर कहा जा रहा है कि पीछे वाले काउंटर पर जाइए. इससे पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. काउंटर पर यदि उनको पहले बता दिया जाता तो वे मंदिर से निकलते समय दूसरे काउंटर से ही अपना जमा बैग ले सकते हैं. नंगे पैर चलने में छोटे बच्चों, बुजुर्गों को महिलाओं को दिक्कत का सामना करना पड़ता है. हालांकि प्रशासन ने एक बोर्ड पर इसकी सूचना दी है, लेकिन भीड़ होने के कारण इसे कोई वहां पढ़ नहीं पाता है.