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सृजन शाखा कटक की सदस्य की याचिका पर हाईकोर्ट के अहम फैसले से गरीब कैंसर मरीजों को होगा फायदा
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अनिता बुधिया के नेत्र करेंगे किसी की दुनिया को रौशन
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पंचतत्व में विलीन होने से पहले दिया गोरक्षा का संदेश
शैलेश कुमार वर्मा, कटक
कहते हैं कि दुनिया में लोगों के कर्मों की ही पूछ होती है और पूजा होती है. आज कुछ ऐसा ही सृजन शाखा की दिवगंत सदस्य अनिता बुधिया की कर्मों की बखान की जा रही है. उनके कार्यों की पूजा की जा रही है. इस दुनिया से जाते-जाते उन्होंने कई ऐसे कार्य किये, जिसकी कटक शहर में चर्चा हो रही है. उनके निधन के बाद उनके द्वारा दायर की गयी एक यचिका पर आए फैसले से गरीब लोगों को काफी फायदा मिलने वाला है, जबकि उनके दो नेत्र किसी दूसरों की दुनिया को रौशन करेंगे. इतना ही नहीं, पंचतत्व में विलीन होने से पहले उन्होंने गोरक्षा का भी संदेश दिया.
अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मलेन की अंचल प्रमुख सुमित्रा अग्रवाल ने बताया कि सृजन शाखा सदस्य अनिता बुधिया को शत-शत नमन, जिन्होंने जाते-जाते भी जनहितार्थ कार्य किया. अनिता आचार्य हरिहर कैंसर हॉस्पिटल कटक में कई दिनों से चिकित्साधीन थी, परंतु वहां कैंसर रोगियों के लिए पीईटी (सीटी) स्कैन की सुविधा नहीं थी. गरीब व्यक्ति इसका खर्च वहन नहीं कर सकता था. वह सिर्फ भगवान की दया पर निर्भर होता है. इसीलिए उन्होंने राज्य हाईकोर्ट में एक अपील दायर की थी कि यह मशीन सरकारी अस्पताल में उपलब्ध करवाई जाए और नहीं लगने तक प्राइवेट हॉस्पिटल में टेस्टिंग सरकारी खर्च पर किया जाए. हाईकोर्ट का आदेश आने के पहले दिन ही उनका परलोक गमन हो गया. उन्होंने अपनी इस लड़ाई से दूसरों के चेहरे पर खुशी लाई.
प्रांतीय अध्यक्ष ललिता अग्रवाल एवं प्रांतीय सचिव रानी खेमका, राष्ट्रीय नेत्रदान अंगदान प्रमुख संध्या अग्रवाल ने कहा कि ऐसे गहरे दु:ख के समय भी परिवारजनों ने बहुत ही बड़े ह्रदय का परिचय दिया एवं अनिता का नेत्रदान करवाया.
शाखा अध्यक्षा ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि हमारी शाखा की बहन ने अपना नेत्रदान का बड़ा ही पुण्य का काम किया है. मरता है शरीर, अमर है आत्मा, नेत्रदान से मिलता है स्वयं परमात्मा. शाखा की सभी बहनों ने इस नेक कार्य के लिए दिवंगत आत्मा को शांति एवं मोक्ष प्रदान करने की कामना की है. साथ ही भगवान से कामना की कि वह परिवारजनों को इस दुखद घड़ी में साहस दे. अनिता के दोनों नेत्र दो-तीन नेत्रहीन व्यक्तियों के जीवन में प्रकाश लायेंगे.
इतना ही नहीं, उनका दाह संस्कार गोबर निर्मित काष्ठ से किया गया. यह उनकी इच्छा थी कि पर्यावरण को बचाने हेतु ऐसा किया जाए. उनके इस कदम से गोबर निर्मित काष्ठ की बिक्री बढ़ेगी, जिससे होने वाली आय से गायों को रक्षा प्रदान किया जा सकता है.